
Gujarat High Court Dead Man Conviction: गुजरात हाईकोर्ट ने रायजीभाई सोधाने नामक व्यक्ति को 2012 में अपनी पत्नी को ज़िंदा जलाने के आरोप में दोषी ठहराया। राज्य सरकार ने पहले सत्र न्यायालय द्वारा बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। जुलाई 2025 में जब कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और non-bailable warrant जारी कर सजा सुनाने के लिए आरोपी को पेश करने को कहा, तभी चौंकाने वाला खुलासा हुआ-रायजीभाई की तो वर्ष 2016 में ही मृत्यु हो चुकी थी।
अदालत ने साफ तौर पर पुलिस और अतिरिक्त लोक अभियोजक (APP) की लापरवाही को दोषी माना। पुलिस ने अभियोजन पक्ष को समय रहते आरोपी की मृत्यु की सूचना नहीं दी, वहीं अभियोजक ने भी केस की सुनवाई से पहले स्थिति की पुष्टि नहीं की। Court ने दोनों को कड़ी फटकार लगाई और खेड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक को जिम्मेदार अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश दिया।
यह घटना केवल एक मानवीय त्रुटि नहीं, बल्कि judicial coordination failure का स्पष्ट उदाहरण है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि पुराने मामलों में अंतिम सुनवाई से पहले आरोपी की वर्तमान स्थिति की जांच अनिवार्य है। इस गलती ने न केवल न्यायालय का अमूल्य समय बर्बाद किया, बल्कि न्याय की मूल भावना को भी झकझोर दिया।
यह भी पढ़ें… गणेश चतुर्थी 2025: गाय के गोबर से बने इको फ्रेंडली गणपति-अहमदाबाद नगर निगम की अनोखी पहल
अप्रैल 2012 में रायजीभाई सोधाने पर अपनी पत्नी रुखमणीबेन को जिंदा जलाने का आरोप लगा था। पत्नी ने मृत्यु पूर्व बयान में कहा था कि सोधाने ने शराब के लिए चाँदी के आभूषण माँगे और इनकार पर उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। सत्र न्यायालय ने उन्हें संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था, लेकिन सरकार की अपील पर हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराया हालांकि तब तक वह 9 साल पहले मर चुके थे।
कोर्ट ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि भविष्य में ऐसी चूक न हो। अभियोजन कार्यालय और पुलिस विभाग के बीच बेहतर समन्वय की ज़रूरत को भी दोहराया गया। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या अधिकारियों पर कार्रवाई होती है या यह मामला भी इतिहास के पन्नों में गुम हो जाएगा।
Dead man convicted by Gujarat High Court जैसी घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन यह स्पष्ट संकेत देती हैं कि भारतीय न्याय प्रणाली में Digital Integration, Record Verification और Stakeholder Coordination की कितनी ज़रूरत है। यह एक चेतावनी है कि अगर सतर्कता न बरती जाए, तो न्याय व्यवस्था खुद एक मज़ाक बन सकती है।
यह भी पढ़ें…Gujarat Truck Rescue: ढहे गंभीरा ब्रिज से 27 दिन बाद कैसे निकला ट्रक? सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के कौन बने हीरो?