गलत एग्जाम सेंटर पहुंचने के बाद रोने लगे थे बच्चे, पुलिसवालों ने 'ज्ञान बांटने' के बजाय उन्हें सेंटर छोड़कर ही सांस ली

पुलिस के लिए एक वाक्य कहा जाता है-देशभक्ति-जनसेवा! अकसर पुलिस पब्लिक की नाराजगी का कारण बन जाती है, लेकिन कई मामलों में वो दिखा देती है कि वो वाकई जनसेवा का भाव रखती है। ये दो मामले भटके स्टूडेंट को एग्जाम सेंटर तक पहुंचाने से जुड़े हैं।

 

Amitabh Budholiya | Published : Mar 17, 2023 4:35 AM IST / Updated: Mar 17 2023, 10:06 AM IST

कोलकाता/ गुजरात. पुलिस के लिए एक वाक्य कहा जाता है-देशभक्ति-जनसेवा! अकसर पुलिस पब्लिक की नाराजगी का कारण बन जाती है, लेकिन कई मामलों में वो दिखा देती है कि वो वाकई जनसेवा का भाव रखती है। ये दो मामले भटके स्टूडेंट को एग्जाम सेंटर तक पहुंचाने से जुड़े हैं।

पहला मामला: यह मामला कोलकाता का है। यहां हायर सेकंडरी बोर्ड एग्जाम के बीच 16 मार्च को कोलकाता पुलिस ने एक छात्र को उसके परीक्षा केंद्र पर समय से पहुंचने में मदद की। रास्ता भटक जाने पर एक पुलिस अधिकारी छात्र को अपनी बाइक से परीक्षा केंद्र ले गया।

हुआ यूं कि गुरुवार सुबह करीब 10.10 बजे हावड़ा ब्रिज ट्रैफिक प्रभारी अधिकारी सौविक चक्रवर्ती ने छात्र को कोलकाता के स्ट्रैंड रोड और एमजी रोड के पास बेमतलब घूमते देखा। छात्र ने कहा कि वह श्री विशुद्धानंद सरस्वती विद्यालय जाता है और उसका परीक्षा केंद्र कॉटन स्ट्रीट स्थित श्री दिगंबर जैन विद्यालय में है। एक पुलिस अधिकारी ने मीडिया को बताया कि छात्र अपने परीक्षा केंद्र का पता नहीं लगा सका, क्योंकि वह इलाके में नया था। उन्होंने कहा कि परीक्षा स्थल एक संकरी गली के अंदर स्थित है और प्रवेश का समय पहले ही बीत चुका था।

अधिकारी ने महसूस किया कि केवल एक बाइक ही छात्र को ले जा सकती है। कोलकाता पुलिस के एक अन्य अधिकारी सुभाजीत पाल ने उसे अपनी बाइक पर बिठाया और समय रहते एग्जाम सेंटर पर छोड़ दिया। उसे थोड़ी देर हो गई, लेकिन परीक्षा में बैठने दिया गया।

यह मामला गुजरात का है। इस समय गुजरात बोर्ड के एग्जाम चल रहे हैं। इस छात्रा को उसका पिता भूलवश गलत एग्जाम सेंटर पर छोड़कर चला गया था। छात्रा जब सेंटर के अंदर गई, तो उसे अपना रोल नंबर लिखा नहीं दिखा। यह देखकर वो रोने लगी। जब वहां ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर की नजर उस पर पड़ी, तो उन्होंने वजह पूछी।

लड़की ने बताया कि उसके पिता गलत सेंटर पर ड्राप करके चले गए हैं। पुलिस इंस्पेक्टर ने छात्रा के भविष्य की फिक्र में खुद मदद करने की ठानीं। उन्होंने छात्रा को अपने साथ गाड़ी में बैठाया और वहां से करीब 20 किमी दूर उसके सही सेंटर पर ले जाकर छोड़ा। इस दौरान ट्रैफिक से दिक्कत न हो, इसलिए गाड़ी के हूटर और लाइट का इस्तेमाल किया। यह मामला जब सोशल मीडिया के जरिये गृह मंत्री हर्ष संघवी के संज्ञान में आया, तो उन्होंने अपने twitter हैंडल पर हैट्स आफ लिखकर तारीफ की।

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