Raksha Bandhan पर देहरादून के दून संस्कृति स्कूल के जनजातीय बच्चों को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने बुलाया

रक्षा बंधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू द्वारा पूरे प्रदेश से केवल देहरादून के दून संस्कृति जनजातीय विद्यालय के छात्र आमंत्रित किए गए।विलुप्तप्राय वन राजी छात्रों ने उन्हें राखी बांधी।राष्ट्रपति ने उनका हाल पूछा और तरुण विजय की पहल की प्रशंसा की।

Contributor Asianet | Published : Aug 31, 2023 11:03 AM IST / Updated: Aug 31 2023, 04:50 PM IST

देहरादून. रक्षा बंधन के पावन पर्व पर राष्ट्रपति द्वारा पूरे प्रदेश से केवल देहरादून स्थित दून संस्कृति जनजातीय विद्यालय के छात्र आमंत्रित किए गए। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था। मुख्यतः पिथौरागढ़ धारचूला क्षेत्र से आये विलुप्तप्राय वन राजी छात्रों ने राष्ट्रपति को राखी बांधी। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मूर्मू जी ने उनके पास रुक कर बातें भी कीं और उनको चाकलेट दिये। इन छात्रों को श्री तरुण विजय के नेतृत्व में दिल्ली ले जाया गया था। प्रदेश सरकार , मुख्यमंत्री श्री धामी और मुख्य सचिव श्री संधु ने उनके दिल्ली प्रवास और निवास की व्यवस्था की थी। उल्लेखनीय है कि वन राजी बच्चों को उच्चतर शिक्षा और बेहतर वातावरण में आगे बढ़ने का अवसर पिथौरागढ़ की ज़िलाधिकारी श्रीमती रीना जोशी के विशेष प्रयास और पूर्व विधायक श्री गगन सिंह रजवार के अनथक अभियान से सफल हुआ।

इस विशेष राखी दल में अरुणाचल मणिपुर मिजोरम तथा असम के जनजातीय बच्चे भी थे। श्री तरुण विजय ने कहा कि यह प्रसंग और राष्ट्रपति जी का आमन्त्रण पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है और इस बात का प्रमाण है कि मोदी धामी सरकार सबसे अंतिम छोर पर बैठे समाज के लिए भी काम कर रही है। उन्होंने कहा देहरादून में विज्ञान व तकनीकी शिक्षा परिषद के साथ वे वन राज़ी भाषा के शब्दकोश और भाषा लिपिकरण पर काम कर रहे हैं जिसके लिये मुख्यमंत्री से सहयोग हेतु प्रार्थना की है। यदि इस समाज के लिये तुरंत काम नहीं किया गया तो उनकी भाषा और परम्परायें लुप्त होने का खतरा है जिस और प्रदेश में अभी तक किसी सरकार या जनजातीय विभाग ने कुछ नहीं किया था।

पिथौरागढ़ से श्री तरुण विजय के प्रयास से प्रथम बार शहर आये वन राजी बच्चों के साथ मृदुल वार्ता करती हुईं राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुरमू, साथ में विलुप्त प्रायः वन राजी समाज के बारे में बताते हुए श्री तरुण विजय

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