रांची न्यूज: ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने मंगलवार देर रात इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह मिजोरम के राज्यपाल हरिबाबू गरिया को ओडिशा का राज्यपाल बनाया गया है। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रघुवर दास का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। रघुवर दास के इस्तीफे से झारखंड की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। माना जा रहा है कि अब रघुवर दास झारखंड की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं।
2024 के विधानसभा चुनाव में रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू ने उनकी परंपरागत सीट जमशेदपुर पूर्वी से जीत दर्ज की। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अजय कुमार को 42,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। इस जीत ने रघुवर दास के राजनीतिक परिवार की मजबूत स्थिति को और मजबूत कर दिया है।
माना जा रहा है कि अगर रघुवर दास राज्य की राजनीति में सक्रिय होते हैं तो उनकी बहू पूर्णिया साहू उनके लिए अपनी सीट छोड़ सकती हैं। ऐसी भी अटकलें हैं कि रघुवर दास चुनाव नहीं लड़ सकते और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बन सकते हैं. बता दें, संगठन चुनाव फरवरी में होना है. केंद्रीय संगठन में भी मिल सकती है जिम्मेदारी राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि रघुवर दास को बीजेपी के केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. रघुवर दास की गिनती केंद्रीय मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी नेताओं में भी होती है. वे बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं. वहीं, जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म होने वाला है, ऐसे में रघुवर दास को भी बीजेपी में कोई बड़ा पद मिल सकता है.
3 मई 1955 को जन्मे 69 वर्षीय रघुवर दास ने पहली बार 1995 में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. इसके बाद वे साल 2000 में लगातार दूसरी बार जीते. अलग झारखंड राज्य बनने के बाद रघुवर दास राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में मंत्री बने थे. रघुवर दास ने जमशेदपुर पूर्वी सीट से 2005, 2009 और 2014 में भी जीत हासिल की थी. इस दौरान वे लंबे समय तक विभिन्न विभागों के मंत्री रहे और 2014 में जब भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तो रघुवर दास पूरे पांच साल तक मुख्यमंत्री रहे.
2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपने ही कैबिनेट सहयोगी सरयू राय से जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. सरयू राय ने 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भाजपा उम्मीदवार रघुवर दास को हराकर सबको चौंका दिया था. इसके कुछ महीने बाद ही रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाने का फैसला लिया गया था, जिसके बाद रघुवर दास ने भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था.