
झारखंड में एक्साइज कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान 11 युवाओं की मौत हो गई, जिससे राज्य में हड़कंप मच गया है। यह घटना फिटनेस टेस्ट के दौरान हुई, जब एक के बाद एक कई कैंडिडेट्स बेहोश होकर गिर पड़े। घटना के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि "यह सरकार नौकरी नहीं, मौत बांट रही है।"
इस घटना के बाद झारखंड पुलिस मुख्यालय और राज्य सरकार ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। सभी परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। साथ ही, पेयजल, मेडिकल सुविधा और आराम की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कैंडिडेट्स की मौत के पीछे तीन मुख्य कारण हो सकते हैं:
1. तेज गर्मी में कैंडिडेट्स को कठोर शारीरिक श्रम से गुजरना पड़ा, जिससे उन्हें डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक जैसी समस्याएं हुईं।
2. कुछ कैंडिडेट्स ने कथित तौर पर अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबंधित दवाओं का सेवन किया था, जिसका उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ा।
3. परीक्षा केंद्रों पर पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, जिससे कैंडिडेट्स को काफी परेशानी हुई।
झारखंड एक्साइज कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के तहत यह फिजिकल टेस्ट 22 अगस्त को राज्य के सात जिलों - रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, पलामू, पूर्वी सिंहभूम और साहेबगंज में आयोजित किए गए थे। फिलहाल, मौत के असली कारणों का पता विस्तृत जांच के बाद ही चल पाएगा। पुलिस ने इस मामले में असामान्य मौत का मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने बताया कि फिजिकल टेस्ट में शामिल हुए 1,27,772 उम्मीदवारों में से 78,023 उम्मीदवार सफल हुए हैं, जिनमें 56,441 पुरुष और 21,582 महिलाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी केंद्रों पर चिकित्सा दल, दवाएं, एम्बुलेंस, मोबाइल शौचालय और पेयजल सहित पर्याप्त व्यवस्था की गई थी।
इस घटना के बाद से ही राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है। भाजपा के राज्यसभा सांसद आदित्य साहू ने सरकार की भर्ती नीति पर सवाल उठाते हुए मृतक कैंडिडेट्स के परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा और उनके आश्रितों को नौकरी देने की मांग की है। देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है।
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