झारखंड के पूर्व CM और JMM संस्थापक शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद निधन

Published : Aug 04, 2025, 10:09 AM ISTUpdated : Aug 04, 2025, 12:14 PM IST
Shibu Soren Death

सार

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो संस्थापक शिबू सोरेन का दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय सोरेन लंबे समय से बीमार थे। उनका निधन झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है। 

JMM Founder Shibu Soren Death: झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन का आज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर जैसे ही फैली, पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई।

कौन थे शिबू सोरेन और क्यों उन्हें झारखंड का ‘गुरुजी’ कहा जाता था?

शिबू सोरेन को पूरे झारखंड में 'गुरुजी' के नाम से जाना जाता था। उन्होंने न सिर्फ एक राजनीतिक दल की स्थापना की, बल्कि आदिवासी हितों की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। उन्होंने 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की थी, जो बाद में झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाला संगठन बना।

क्या उनका राजनीतिक सफर हमेशा आसान रहा?

बिलकुल नहीं। शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा रहा। वे कई बार लोकसभा और राज्यसभा के सांसद रहे, केंद्रीय कोयला मंत्री भी बने, लेकिन विवादों ने भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। 2006 में उन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था, हालांकि बाद में उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया।

शिबू सोरेन के निधन से झामुमो और झारखंड की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? 

शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत अब उनके पुत्र हेमंत सोरेन, जो वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, के कंधों पर है। हालांकि यह देखना होगा कि उनके निधन के बाद झामुमो पार्टी की एकता, नीति और जन समर्थन पर क्या प्रभाव पड़ता है। क्या हेमंत उतनी ही ताकत से पार्टी को आगे बढ़ा पाएंगे जितनी गुरुजी ने दिखाई?

क्या आदिवासी समाज में शून्य पैदा होगा? 

शिबू सोरेन आदिवासी समाज के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक थे। उनके जाने से आदिवासी राजनीति में एक बड़ा नेतृत्व का खालीपन उत्पन्न हुआ है। अब यह देखना होगा कि अगली पीढ़ी इस शून्य को कैसे भरती है।  शिबू सोरेन का निधन केवल एक नेता के जाने की खबर नहीं है, यह एक राजनीतिक युग का अंत है। उनकी जीवन यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा रहेगी-संघर्ष, सेवा और नेतृत्व का जीवंत उदाहरण।

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