कहते हैं कि बासुकीनाथ शिवगंगा की तलहटी में स्थित यह कुंड प्राचीन है। बुजुर्ग बताते हैं कि 300 साल पहले जब यहां शिवगंगा सरोवर का अस्तित्व नहीं था। तब यहां कुंड में शिवलिंग था। इन्हें पाताल बाबा के नाम से जानते हैं।
दरअसल, परंपरा के हिसाब से शिवगंगा में पानी भरने से पहले पाताल बाबा की पूजा-अर्चना की जाती है। उन पर बिल्वपत्र, पुष्प, अबीर-गुलाल चढ़ाया जाता है। इसके बाद शिवगंगा को पानी से भर दिया जाता है।