
झारखंड के चाईबासा से एक ऐसी दर्दनाक खबर सामने आई है, जिसने मानवता के साथ-साथ पूरे देश को झकझोर के रख दिया है। साथ ही राज्य सरकार के सारे दावों की पोल खोलते हुए हकीकत बयां की है। यहां एक बेटे की मौत के बाद जब स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एंबुलेंस नहीं मिली तो बेबस पिता अपने चार माह के मासूम बेटे के शव को थैले में रखकर बस से गांव जाने के लिए निकल पड़ा। वह मासूम रोते हुए मासूम का शव ऐसे झोले में रखकर ले जा रहा था, जैसे कोई सब्जी-भाजी ले जा रहा हो।
दरअसल, यह घटना पश्चिमी सिंहभूम जिले के बालजोड़ी गांव का है, जहां बच्चे की अचानक तबीयत खराब होने के बाद उसके पिता इलाज कराने के लिए किसी तरह सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे थे। लेकिन मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना के बाद परिवार में मातम छा गया, लेकिन बेटे की मौत से बड़ा दुख यह था कि उसका शव वह कैसे वापस अपने गांव लेकर जाए।
पीड़ित पिता जिला अस्पताल के डॉक्टरों से लेकर नर्स और तमाम अधिकारियों से मिन्नतें करता रहा कि एंबुलेंस के जरिए उसके बेटे का शव घर पहुंचा दिया जाए। वह घंटों खड़े-खड़े गुहार लगाता रहा, लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने उसकी एक नहीं सुनी। इतना ही नहीं किसी भी अधिकारी या डॉक्टर ने इस बेबस पिता की ना बात सुनी और ना ही कोई संवेदनशीलता दिखाई। बेबस पिता की आर्थिक हालत ऐसी थी कि उसके पास किराए से गाड़ी करने तक के पैसे नहीं थे। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह डिम्बा चतोम्बा के पास तक पहुंचे। आखिर में मजबूर होकर पिता ने बाजार से 25 रुपए का एक थैला खरीदा और उसमें चार माह के बेटे का शव रखकर बस से बालजोड़ी गांव के लिए रवाना हो गया। बस और रास्ते में जिस किसी ने यह दृश्य देखा उसका कलेजा कांप गया।
बेटे के शव को थैले में ले जाने के बाद जिला प्रशासन और हॉस्पिटल प्रबंधन में हड़कंप मच गया है। तमाम सीनियर अफसर मौके पर पहुंचे और तुरंत पूरे मामले की कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जिले के एसडीओ संदीप अनुराग टोपनो और सीओ उपेंद्र कुमार ने अस्पताल पहुंचकर जांच पड़ताल शुरू कर दी है। वहीं सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर कई भावुक कमेंट्स आ रहे हैं। साथ कुछ यूजर ने प्रशासन पर तीखे सवाल खड़े किए हैं।
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