
भोपाल: मध्य प्रदेश के एक सरकारी अस्पताल में खून चढ़वाने वाले चार बच्चों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है। थैलेसीमिया का इलाज करा रहे इन बच्चों को सरदार वल्लभभाई पटेल जिला अस्पताल में यह संक्रमण हुआ। चार महीने पहले हुई यह घटना तब सामने आई, जब बच्चों के घरवालों ने अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। जिला स्वास्थ्य विभाग ने बताया है कि जांच चल रही है और यह पता लगाया जाएगा कि बच्चों को खून देने से पहले जांच में कोई लापरवाही तो नहीं हुई। अधिकारियों का कहना है कि वे अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि किस खून से संक्रमण फैला। विरोध तेज होने पर जिला स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।
एचआईवी से संक्रमित हुए बच्चों की उम्र 8 से 14 साल के बीच है। चार महीने पुरानी यह घटना मंगलवार को सामने आई। यह गंभीर मामला तब उजागर हुआ जब बच्चों के माता-पिता ने अस्पताल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू किया। चार महीने पहले, आईसीटीसी ने बच्चों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि की थी। जिन बच्चों की शुरुआती जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी, बाद की जांच में उनके एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई। जिला अस्पताल को जानकारी मिलने के बाद खून दान करने वालों का पता लगाने की कोशिशें शुरू कर दी गईं। इस मामले में उपमुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए हैं। उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा कि जिला अस्पताल में जो हुआ वह एक गंभीर घटना है।
सतना जिला अस्पताल के ब्लड बैंक इंचार्ज देवेंद्र पटेल ने एचआईवी टेस्ट के लिए इस्तेमाल होने वाली किट को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि इन बच्चों को 70 से 100 बार खून चढ़ाया जा चुका है। देवेंद्र पटेल ने मीडिया से कहा कि ऐसे मामलों में एचआईवी का खतरा काफी बढ़ जाता है। चार महीनों में केवल 50 प्रतिशत खून देने वालों का ही पता चल पाया है। ज्यादातर डोनर्स ने गलत जानकारी और पते दिए हैं।
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