
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि भारतीय शासन व्यवस्था की मूल आत्मा हमेशा से स्थानीय स्वशासन रही है। हमारे देश में शासन की शुरुआत गांव से होती है और फिर यह राष्ट्र तक पहुंचता है। इसी परंपरा के कारण भारतीय चिंतन में गांव को स्वराज और आत्मनिर्भरता की पहली इकाई माना गया है। उन्होंने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत और सुशासन का विज़न रखा, तो उन्होंने साफ कहा कि भारत की असली ताकत उसके गांवों, पंचायतों और जनता की सामूहिक शक्ति में बसती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “आत्मनिर्भर पंचायत – समृद्ध मध्यप्रदेश” विषय पर आयोजित यह कार्यशाला ग्राम स्वराज, स्थानीय आत्मनिर्भरता और विकसित भारत@2047 के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गर्व की बात है कि पंचायतों को प्रशासनिक, वित्तीय और सामुदायिक रूप से मजबूत बनाने की रणनीति का नेतृत्व स्वयं पंचायत प्रतिनिधि कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पंचायत संस्थाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अभी तक जिला और जनपद पंचायतों के उपाध्यक्ष शिक्षा समितियों के अध्यक्ष तो होते हैं, लेकिन निरीक्षण के दौरान उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता था। अब उनके निरीक्षण और सुझाव लिखित रूप में दर्ज होंगे और उन पर अमल भी किया जाएगा।
सरकार ने सरपंचों को पंचायत कार्यों के लिए 25 लाख रुपये तक खर्च करने का अधिकार दिया है। यह सिर्फ शुरुआत है, आगे और भी पहल की जाएंगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला की शुरुआत की। उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत वाटरशेड विकास 2.0 के वॉटरशेड महोत्सव का भी शुभारंभ किया। जल गंगा संवर्धन अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों, सहयोगी संस्थाओं और नॉलेज पार्टनर संगठनों को मुख्यमंत्री ने सम्मानित किया और उनके साथ समूह फोटो भी कराया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यशाला में पंचायत मंत्री, राज्यमंत्री राधा सिंह, बड़ी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि, विषय-विशेषज्ञ और अधिकारी मौजूद रहे। यह कार्यशाला 26 नवंबर तक चलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुरस्कार प्राप्त अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पंचायतों को पीने के पानी की व्यवस्था का अधिकार भी दे दिया है। पंचायतें विकास का संकल्प लेकर आगे बढ़ें और बेहतर निवेश व निवास व्यवस्था के लिए अपने मास्टर प्लान तैयार करें। इसकी शुरुआत विदिशा जिले से की जा रही है। उन्होंने बताया कि सोलर पंप योजना के तहत 3 से 5 हॉर्स पावर का सोलर पंप लेने वाले किसानों को 90% तक सब्सिडी दी जा रही है। पंचायतें भी इस योजना को आगे बढ़ाएं।
सरकार किसानों को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है। राज्य सरकार ने पंचायतों के माध्यम से ‘एक बगिया मां के नाम’ अभियान भी शुरू किया है। ग्राम स्तर पर इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने जिला पंचायत प्रतिनिधियों के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश के गठन के बाद कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में विधानसभा सत्र आयोजित होते थे और उनकी इच्छा है कि सभी पंचायत प्रतिनिधि नई विधानसभा तक पहुंचें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा है कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में पंचायतें भी पूरी तरह आत्मनिर्भर हों। उनके मार्गदर्शन में जिला, जनपद और ग्राम पंचायतों को लगातार सशक्त किया जा रहा है। सरकार ने गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी दूसरा सम्मेलन आयोजित किया है ताकि पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उन्हें जोड़ा जा सके। सरकार पंचायतों के समग्र विकास के लिए निरंतर साथ खड़ी है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि यह कार्यशाला त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के बेहतर क्रियान्वयन के लिए आयोजित की गई है। पंचायत प्रतिनिधियों और जिला-जनपद अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय जरूरी है। भारत में परंपरागत रूप से ग्राम विकास समाज और सरकार की संयुक्त भागीदारी पर आधारित रहा है। आज भी सामुदायिक सहभागिता विकास कार्यों में महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने सभी पंचायतों में दिसंबर 2026 तक शमशान घाट और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है।
मुख्यमंत्री द्वारा पांचवें वित्त आयोग की राशि को बढ़ाकर 6,000 करोड़ रुपये किया गया है, जिससे पंचायतों के विकास को आधार मिला है। दूर-दराज के गांव प्रधानमंत्री जनमन योजना से पक्की सड़क से जुड़ रहे हैं और प्रदेश पीएम जनमन व पीएम आवास में देश में अग्रणी है। मंत्री पटेल ने कहा कि पंचायतों की आत्मनिर्भरता को केवल आर्थिक रूप में न देखें। गांव बीमारियों से मुक्त हों, स्वच्छता हो, नशा न हो, विवाद न हों और सामाजिक बुराइयों को रोकने में पंचायतें सक्रिय रहें—यही एक आदर्श आत्मनिर्भर पंचायत की पहचान है।
मुख्यमंत्री ने जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत श्रेष्ठ कार्य करने वाले जिलों और संगठनों को सम्मानित किया।
समग्र कार्य में प्रथम स्थान : खण्डवा
द्वितीय स्थान : रायसेन
तृतीय स्थान : बालाघाट
खेत तालाब निर्माण में
जिले : अनूपपुर और बालाघाट
जनपदों में प्रथम : जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ (अनूपपुर)
सहयोगी संस्थाओं में
मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद
राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन मिशन
एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन
नॉलेज पार्टनर : प्रदान एवं TRI को सम्मानित किया गया।
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