Bhopal Lokayukta Raid: सोना, चांदी और 17 टन शहद-PWD इंजीनियर ने कैसे खड़ा किया अरबों का साम्राज्य?

Published : Oct 10, 2025, 09:56 AM IST
Bhopal Lokayukta Raid

सार

Bhopal Lokayukta Raid: रिटायर्ड PWD इंजीनियर जी.पी. मेहरा के घर से लोकायुक्त ने बरामद किया 17 टन शहद, करोड़ों का सोना-चांदी, लग्ज़री कारें और नकदी। क्या यह सिर्फ लालच का परिणाम था या बड़े भ्रष्टाचार नेटवर्क की काली कहानी? जांच अभी भी जारी है।

GP Mehra PWD Engineer Scam: भोपाल में गुरुवार की सुबह ऐसा मामला सामने आया जिसने सभी को चौंका दिया। लोकायुक्त की टीम ने रिटायर्ड PWD मुख्य अभियंता जी.पी. मेहरा के घर और संपत्तियों पर छापा मारा, और जो मिला, उसे देखकर अधिकारियों के भी होश उड़ गए। यह मामूली जाँच शुरू हुई थी, लेकिन अब यह मध्य प्रदेश के सबसे सनसनीखेज भ्रष्टाचार मामलों में बदल चुकी है।

क्या सरकारी इंजीनियर ने अपने ही पैसों से बनाया इतना खजाना?

लोकायुक्त की टीम ने सबसे पहले भोपाल के मणिपुरम कॉलोनी में मेहरा के आलीशान घर पर छापा मारा। यहाँ से 8.79 लाख रुपये नकद, 50 लाख रुपये के आभूषण और 56 लाख की सावधि जमा राशि मिली। लेकिन असली चौंकाने वाली बात तो उनके दूसरे घर में हुई।

17 टन शहद और करोड़ों का सोना: फार्महाउस का वैभव

नर्मदापुरम की सैनी गांव स्थित फार्महाउस में अधिकारियों ने पाया कि यहां 17 टन शहद, छह ट्रैक्टर, 32 निर्माणाधीन कॉटेज और सात पूरी हो चुकी कॉटेज थे। इसके अलावा फार्महाउस में एक निजी तालाब, गौशाला और मंदिर भी था। और सबसे चौंकाने वाली बात-यहां फोर्ड एंडेवर, स्कोडा स्लाविया, किआ सोनेट और मारुति सियाज़ जैसी लग्ज़री कारें भी मिलीं।

सोना और चांदी: ओपल रीजेंसी का खजाना

मेहरा के ओपल रीजेंसी अपार्टमेंट में जाँचकर्ताओं को 2.6 किलो सोना, 5.5 किलो चांदी और 26 लाख रुपये नकद मिले। कुल मिलाकर इस कार्रवाई में लगभग 36 लाख रुपये नकद, करोड़ों का सोना-चांदी, बीमा पॉलिसियाँ, शेयर दस्तावेज़ और चार लग्ज़री कारें जब्त की गईं।

यह खजाना कैसे इकट्ठा हुआ?

लोकायुक्त की टीम ने पाया कि मेहरा के रिश्तेदार फर्म में साझेदार थे और कई बेनामी निवेश भी किए गए थे। इस पूरे मामले में फोरेंसिक टीमें और डिजिटल फाइल जांच शामिल हैं। सवाल अब यह उठता है कि क्या यह केवल लालच और ऐश्वर्य था या कोई बड़ा भ्रष्टाचार नेटवर्क चल रहा था?

क्या यह सिर्फ निजी संपत्ति थी या भ्रष्टाचार का जाल?

भोपाल और नर्मदापुरम में फैली इस कार्रवाई ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि सरकारी इंजीनियर अपने पद का उपयोग करके इतना वैभव कैसे जुटा सकते हैं। यह मामला अब लोकायुक्त और पुलिस जांच के तहत है और संपत्तियों का मूल्यांकन अभी जारी है।

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