
भोपाल (bhopal). इस साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने है इसके चलते सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। सीएम चौहान नहीं चाहते की राज्य में इलेक्शन से पहले किसी तरह की अशांति प्रिय घटना हो। इसके चलते ही प्रदेश में आने वाले त्यौहारों के दौरान कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करने के लिए बैठक की। इस दौरान गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी सुधीर सक्सेना सहित कई बड़े अधिकारी शामिल हुए। इस दौरान बड़ा फैसला लिया गया है। सीएम ने इसकी जानकारी ट्वीट कर दी।
प्रदेश के मदरसों को रिव्यू करने का कहा
दरअसल सीएम शिवराज कानून समीक्षा बैठक कर प्रदेश की कानून व्यवस्था का जाएजा लेने के साथ ही कई कड़े ऑर्डर दिए है। इसी दौरान सीएम ने कहा कि प्रदेश में अवैध मदरसे, इंस्टीट्यूट जहां कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है उन सभी जगहों की रिव्यू किया जाएगा। सीएम ने आगे कहा कि कट्टरता और अतिवाद को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके इस फैसले को बीजेपी अध्यक्ष ने भी समर्थन देते हुए कहा कि सभी टीचिंग इंस्टीट्यूट को रिव्यू किया जाता है तो मदरसों का क्यो नहीं। उन्होंने कहा कि सरकार यह जानना चाहती है कि मदरसों में बच्चों को किस तरह की शिक्षा दी जा रही है।
विपक्ष ने की तीखी आलोचना
सीएम के इस फैसले की विपक्ष की कांग्रेस ने तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार के इस फैसले को सांप्रदायिकता फैलाने का आरोप तक लगाया है। कांग्रेस के मीडिया सेल के मिश्रा ने कहा कि यदि मदरसो से ही नफरत फैल रही थी तो सीएम ने 18 साल पहले निर्णय क्यों नहीं लिया। उन्होंने आरएसस को भी निशाने में लेकर उस पर भी आरोप लगाए। उन्होंने तो प्रदेश मे राष्ट्रपति शासन की मांग की।
त्यौहारों में माहौल के शांति बनाए रखने के दिए निर्देश
सीएम शिवराज ने पुलिस को त्यौहार के समय सोशल मीडिया में अफवाह फैलाने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए है। उन्होंने पुलिस को सोशल मीडिया एकाउंट में आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले के खिलाफ कार्रवाही करने के साथ ही जमात-उल-मुजाहिदीन और पीएफआई जैसे ग्रुप पर भी नजर रखने के निर्देश दिए है। जानकारी हो कि जेएमबी के कुछ सदस्यों को अवैध गतिविधियों के लिए अरेस्ट किया गया था। इस रिव्यू मीटिंग में पुलिस अधिकारियों की तारीफ भी की है। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस में इतनी क्षमता है कि वह कानून व्यवस्था में देश में नंबर वन बनाने की केपिसिटी है।
चुनावी साल के चलते जब से शिवराज ने इस फैसले का ट्वीट किया है विपक्ष उनपर लगातार हमलावर है। माना जा रहा है कि उनके इस डिसीजन के बाद प्रदेश में एक बार फिर से राजनीति गरमा सकती है।
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