कैसे एक कांस्टेबल बना रियल एस्टेट का बड़ा खिलाड़ी? कई एंजेसियों की बढ़ी निगरानी

मध्य प्रदेश के भोपाल आरटीओ के पूर्व कांस्टेबल से रियल एस्टेट व्यवसायी बने सौरभ शर्मा पर भ्रष्टाचार के मामले में ईडी, डीआरआई और लोकायुक्त सहित कई केंद्रीय एजेंसियां ​​जांच कर रही हैं। जानिए इस मामले की पूरी कहानी।

 

भोपाल। मध्य प्रदेश में कांस्टेबल से बिल्डर बने सौरभ शर्मा पर भ्रष्टाचार के मामले में कई केंद्रीय एजेंसियां ​​जांच कर रही हैं। इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED), राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और लोकायुक्त द्वारा की जा रही है, जिसमें प्रत्येक एजेंसी मामले के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो इस सप्ताह की शुरुआत में प्रकाश में आया था।

कब पड़ा था छापा?

19 दिसंबर को मध्य प्रदेश लोकायुक्त की विशेष पुलिस स्थापना (SPE) द्वारा भोपाल में राज्य परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा की संपत्तियों की तलाशी के बाद 2.87 करोड़ रुपये नकद और 234 किलोग्राम चांदी सहित 7.98 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। जांच में तेजी तब आई जब उसी दिन भोपाल के बाहरी इलाके में खड़ी एक लावारिस एसयूवी में 52 किग्रा. सोना और 11 करोड़ रुपये नकद मिले।

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कार में मिला अकूत सोना और करोड़ों कैश

यह कार शहर के बाहरी इलाके में मेंडोरी के जंगल में मिली थी, जहां से जंगल के रास्ते सोना ले जाया जा रहा था। कई गवाहों ने हथियारबंद लोगों को वाहन छोड़ते हुए देखा। सूचना मिलने पर आयकर अधिकारियों ने इसे एक स्वतंत्र कार्रवाई मानते हुए आयकर अधिनियम की धारा 132 के तहत कार को जब्त कर लिया। इनोवा कार कथित तौर पर सौरभ शर्मा के सहयोगी चेतन गौर की है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सौरभ शर्मा और चेतन गौर के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया है। माना जा रहा है कि सौरभ शर्मा दुबई भाग गया है।

DRI ने सोने का पता लगाने में जुटा

इस बीच राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) बेहिसाब सोने के स्रोत का पता लगाने के लिए काम कर रहा है, जिससे जांच में एक और परत जुड़ गई है। मध्य प्रदेश लोकायुक्त की एसपीई ने भी अपनी जांच तेज कर दी है। सौरभ शर्मा और उसके परिवार के सदस्यों और चेतन सिंह गौर सहित करीबी सहयोगियों को समन जारी किया गया है। सौरभ शर्मा का परिवहन विभाग के कांस्टेबल से रियल एस्टेट के दिग्गज बनने का सफर भी जांच के दायरे में है।

कौन है सौरभ शर्मा?

सौरभ शर्मा के पिता आरके शर्मा सरकारी डॉक्टर थे और 2015 में उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके बाद सौरभ शर्मा को 2015 में अनुकंपा के आधार पर राज्य परिवहन विभाग में कांस्टेबल के रूप में नियुक्त किया गया और 2023 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद उन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र में कदम रखा और भोपाल में प्रमुख बिल्डरों के साथ संबंध बनाए।

100 करोड़ के लेनदेन का पता चला

लोकायुक्त एसपीई के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा ने भ्रष्ट तरीकों से अर्जित धन का इस्तेमाल अपनी मां, पत्नी, साली के अलावा करीबी सहयोगियों चेतन गौर और शरद जायसवाल के नाम पर स्कूल और होटल बनाने सहित बड़ी संपत्ति अर्जित करने के लिए किया। सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग के कई छापों से 52 जिलों में परिवहन विभाग के अधिकारियों से जुड़े कथित लेन-देन में 100 करोड़ रुपये का खुलासा हुआ है, जो भ्रष्टाचार के व्यापक नेटवर्क का संकेत देता है।

पूर्व CM ने रख दी सरकार से ये मांग

जांच से परिवहन विभाग के भीतर सिस्टमैटिक करप्शन की ओर भी इशारा है, जिसमें सीनियर अफसरों के खिलाफ आरोप हैं। इस मामले ने राजनीतिक विवाद को भी जन्म दिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में न्यायिक जांच की मांग की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में दिग्विजय सिंह ने मामले को संभालने के तरीके की आलोचना की और मांग की कि ED और आयकर विभाग जांच का विशेष नियंत्रण अपने हाथ में लें। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार ने हमेशा भ्रष्टाचार के खिलाफ सैद्धांतिक लड़ाई लड़ी है। हमने चेक बैरियर भी बंद कर दिए थे। हम हर स्तर पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

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