"गुप्तांग में मिर्ची, उल्टा लटकाकर पिटाई!" MP पुलिस पर आदिवासी युवकों का हैरान कर देने वाला आरोप

Published : Jul 20, 2025, 02:22 PM ISTUpdated : Jul 20, 2025, 02:38 PM IST
Madhya Pradesh custodial violence

सार

बिना जुर्म उठाकर थाने ले जाया गया, कपड़े उतरवाकर उल्टा लटकाया गया, गुप्तांग में मिर्च डाली गई—MP के छतरपुर में चार युवकों ने पुलिस पर हैवानियत का सनसनीखेज आरोप लगाया है। भीम आर्मी के साथ सैकड़ों लोग इंसाफ की लड़ाई में उतरे।

Chhatarpur police torture: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से पुलिस बर्बरता का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। नौगांव थाना क्षेत्र के चार आदिवासी युवकों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि उन्हें बिना वजह डायल-100 की गाड़ी से थाने लाया गया, कपड़े उतरवाकर चार दिन तक उल्टा लटकाकर पीटा गया और गुप्तांगों में मिर्च पाउडर तक डाला गया।

झाड़ू बेचता है पीड़ित 

पीड़ितों का कहना है कि वे कंजड़पुर धरमपुरा के निवासी हैं और झाड़ू बेचने का काम करते हैं। 15 जुलाई की शाम एक उद्घाटन समारोह से लौटते समय सड़क किनारे पेशाब कर रहे थे, तभी पुलिस आई और 5 लोगों को पकड़ लिया। एक विकलांग युवक को छोड़कर बाकी चारों को थाने में बंद कर दिया गया और दिन-रात बेल्ट और लात-घूंसे से मारा गया।

 

 

भीम आर्मी ने घेरा एसपी ऑफिस, अंधेरे में डटे रहे महिलाएं-बच्चे 

शनिवार को पीड़ित परिजनों ने भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर एसपी ऑफिस तक मार्च निकाला और धरने पर बैठ गए। आरोप है कि पुलिस ने एसपी ऑफिस का गेट बंद कर दिया और बिजली काट दी, बावजूद इसके महिलाएं और बच्चे अंधेरे में डटे रहे।भीम आर्मी ने आरोपियों पर SC/ST एक्ट के तहत केस दर्ज कर तत्काल सस्पेंशन की मांग की है।

मेडिकल जांच के बाद बड़ा खुलासा संभव 

दबाव के बाद पुलिस ने तीन युवकों को मेडिकल जांच के लिए भेजा है। वहीं नौगांव SDOP अमित मेश्राम ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर हालात को संभाला है। इस घटना ने MP पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं और आदिवासी समुदाय में रोष फैल गया है।

 

 

छतरपुर प्रशासन ने क्या कहा?

 पुलिस का कहना है कि चोरी के मामले में पूछताछ की जा रही थी; टॉर्चर के आरोप “तथ्यों से परे” हैं। फिलहाल, पुलिस अधीक्षक ने जांच के आदेश दे दिए हैं। निष्पक्ष जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी, लेकिन इस कथित “मिर्ची टॉर्चर” ने छतरपुर पुलिस पर सवालों की लंबी फेहरिस्त खड़ी कर दी है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, अगर आरोप सही निकले तो दोषियों पर न केवल SC‑ST एक्ट बल्कि मानवाधिकार उल्लंघन की धाराएं भी लग सकती हैं, जिसकी सजा उम्रकैद तक हो सकती है। 

 

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