
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हिन्दी दिवस के अवसर पर कहा कि मातृभाषा और मां के स्थान को कोई नहीं ले सकता। जैसे मां के चरणों में चारधाम है, वैसे ही मातृभाषा की गोद में आनंदधाम है। उन्होंने मातृभाषा के महत्व और हिन्दी भाषा के वैश्विक स्तर पर योगदान पर विशेष जोर दिया।
रवीन्द्र भवन के हंसध्वनि सभागार में आयोजित भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने देश-विदेश के 10 मूर्धन्य साहित्यकारों को राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान से सम्मानित किया और कई साहित्यिक पुस्तकों का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। अंग्रेजी और मंदारिन के बाद हिन्दी तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हिन्दी के बढ़ते सम्मान का भी उल्लेख किया।
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कार्यक्रम में निम्नलिखित साहित्यकारों को विभिन्न राष्ट्रीय हिन्दी भाषा सम्मानों से अलंकृत किया गया:
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों का विमोचन किया:
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हिन्दी हमारी संस्कृति और भावनाओं का आधार है। उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री मोदी के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि भाषा के माध्यम से हमारी भावनाएं और साहित्य और भी समृद्ध बनते हैं।
राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी और अन्य अधिकारियों ने भी भाषाई और सांस्कृतिक चेतना के महत्व पर जोर दिया। प्रदेश में मेडिकल पढ़ाई हिंदी में कराने की पहल और विश्व हिंदी ओलंपियाड जैसे कार्यक्रमों से हिन्दी का व्यापक स्तर पर प्रचार हो रहा है।
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