इंदौर में कोरोना के बाद पहली बार एक साथ जलीं इतनी चिताएं, श्मशान में लगा लाशों का ढेर...दहला देंगी तस्वीरें

इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी धंसने से कई परिवार उजड़ गए। किसी की मां तो किसी का बेटा बावड़ी में समा गए। इस हादस ने इतने गहरे जख्म दिए हैं जिसे किसी सरकार का कोई मुआवजा नहीं पर सकता है।

Arvind Raghuwanshi | Published : Apr 1, 2023 7:15 AM IST
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इंदौर (मध्य प्रदेश). इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी धंसने से 36 लोगों की मौत हो गई। इस हृदय विदारक घटना में ना जाने कितने परिवार तबाह हो गए। रामनवमी के दिन लोगों को ऐसा दर्द मिला है, जिसे पीड़ित परिवार अपने जीते-जीते शायद ही कभी भूल पाएं। इस जख्म को सरकार का कोई मुआवजा पूरा नहीं कर सकता है। जब एक साथ 30 से ज्यादा अर्थियां निकलीं तो पूरा शहर शोक में डूब गया। श्मशान में चिता जलने वाले दृश्य ने हर किसी के रोंगटे खड़ कर दिए। सभी को कोरोना के कहर की याद आ गई। बता दें कि कोरोना महामारी के बाद यह इतना बड़ा हादसा हुआ जब एक साथ इतनी चिताएं जलाई गईं।

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दरअसल, इंदौर प्रशासन ने मरने वालों की फटाफट पहचान करने के बाद शव परिवार को सौंपे और 36 शव का पोस्टमार्टम करवा कर हाथों-हाथ उनका दाह संस्कार भी करवा दिया। लेकिन जब यह शव यात्रा जिस भी इलाके से होकर गुजरी वह पूरा एरिया गमगीन हो गया। आलम यह था कि जिसने शव यात्रा देखी वह नम आंखों से उसके पीछे होता गया।

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मौत की इस बावड़ी ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हदासे में में किसी की मां नहीं रही, तो किसी का पति चल बसा। कई तो पूरे परिवार के परिवार ही एक साथ खत्म हो गए। बता दें कि सबसे ज्यादा 22 मौतें इंदौर के पटेल नगर के सिंधी कॉलोनी में रहने वाले लोगों की हुई हैं। यहां से महिलाओं की जान गई हैं। पूरे मुहल्ले में मातम बिखरा हुआ है।

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बावड़ी में हुए इस दर्दनाक हादसे ने किसी को नहीं छोड़ा, मासूम बच्चों से लेकर बजुर्गों तक को बावड़ी लील गई। तस्वीर में दिखाई रहा यह बच्चा दो साल का हितांश है, जो अपनी मौसी मनीषा के साथ रामनवमी पर मंदिर गया था। मौसी उसे गोद में लिए हुई थीं। लेकिन बावड़ी की छत धंसी तो वह दोनों उसमें समा गया। दोनों की मौत हो गई।

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तस्वीर में दिखाई दे रहे यह मासूम बच्चे गुनित (12) और रेयांश (5) हैं। जो अपनी मां प्रियंका (37) के साथ गुरूवार को रामनवमी के दिन मंदिर गए हुए थे। बता दें कि प्रियंका ने देवी को प्रसन्न करने के लिए नौ दिन का व्रत रखा था। रामनवमी के दिन वो मंदिर में हवन करने के लिए गई हुई थी। साथ में उसको दोनों बेटे भी थे, भीड़ होने के कारण दोनों बच्चे घर आ गए थे, लेकिन मां प्रियकां बावड़ी में गिर गई थी। हालांकि उसे सुरक्षित निकाल लिया था। लेकिन शुक्रवार को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

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बता दें कि इंदौर की बावड़ी में हुए इस हादसे ने 74 साल पहले हुए हादसे की याद दिला दी। जो इंदौर के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा हादसा था। 1976 में इंदौर में हुए शराबकांड में एक साथ 112 लोगों की मौत हो गई थी। तब एमवाय अस्पताल के पोस्टमार्टम रूम में जगह कम पड़ गई थी। लाशों का ढेर देख डॉक्टरों का कलेजा भी कांप गया था।

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