SDM का चपरासी बना ड्राइवर...रिश्वत का कर रहा था खेल...फंसा तो मैडम तक पहुंची आंच

मध्य प्रदेश के जबलपुर में शाहपुरा एसडीएम के ड्राइवर को 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई की और एसडीएम को फील्ड ड्यूटी से हटाया गया। जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे भी हुए हैं। आइए जानते हैं।

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के शाहपुरा क्षेत्र में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। लोकायुक्त पुलिस ने शाहपुरा SDM के ड्राइवर सुनील कुमार पटेल को 1.5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई मंगलवार शाम को धनवंतरी नगर चौक पर एक सुनियोजित स्टिंग ऑपरेशन के तहत हुई। जांच में पता चला कि सुनील कुमार एसडीएम का चपरासी था, जो कि उनकी ड्राईवरी कर रहा था। 

क्या है पूरा मामला? 

शिकायतकर्ता संग्राम सिंह ने लोकायुक्त पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके रिश्तेदार की जमीन पर बासमती चावल की बोरियां रखी हुई थीं। इस पर शाहपुरा तहसीलदार द्वारा पंचनामा बनाया गया और एसडीएम कार्यालय से कारण बताओ नोटिस जारी की गई। जब संग्राम सिंह ने नोटिस का जवाब देने के लिए एसडीएम कार्यालय का रुख किया, तो उन्हें रिश्वत की मांग का सामना करना पड़ा।

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3 लाख से शुरू हुआ सौदा 1.5 लाख रुपए में निपटा

ड्राइवर सुनील कुमार पटेल ने संग्राम सिंह से कहा कि यह मामला 3 लाख रुपये में निपट सकता है। बातचीत के बाद रिश्वत की रकम घटाकर 1.5 लाख रुपये कर दी गई। इसके बाद संग्राम सिंह ने इस मामले की जानकारी लोकायुक्त पुलिस को दी।

लोकायुक्त की कार्रवाई 

लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत की जांच की और आरोप सही पाए। मंगलवार शाम जाल बिछाकर सुनील कुमार पटेल को रिश्वत की रकम लेते हुए गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए ड्राइवर सुनील पटेल को सस्पेंड कर दिया।

एसडीएम पर भी आरोप 

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि रिश्वत की मांग SDM नदीमा शिरी के निर्देश पर की गई थी। हालांकि, इस मामले की जांच अभी चल रही है। जिला कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने एसडीएम को फील्ड ड्यूटी से हटा दिया है और उनका तबादला कर कलेक्टर कार्यालय में अटैच कर दिया। शाहपुरा का प्रभार डिप्टी कलेक्टर कुलदीप पाराशर को सौंपा गया है।

प्रशासनिक सख्ती का क्या होगा असर

यह घटना मध्य प्रदेश में प्रशासनिक भ्रष्टाचार की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश दिया है। अब सभी की नजरें एसडीएम की भूमिका की जांच पर टिकी हैं। शाहपुरा रिश्वत मामला एक बड़ा प्रशासनिक मुद्दा बन गया है। लोकायुक्त पुलिस की सख्ती और जिला प्रशासन की कार्रवाई ने इसे एक मिसाल के रूप में पेश किया है। 

 

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