
Madhya Pradesh police recruitment scam: मध्य प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जो बॉलीवुड फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ के एक सीन जैसा है। यहां ‘सॉल्वर’ नामक गिरोह ने आधार बायोमेट्रिक डेटा में छेड़छाड़ कर असली उम्मीदवारों की जगह फर्जी लोगों को परीक्षा दिलाई।
इस घोटाले में धोखेबाजों ने आधार कार्ड के फोटो और फिंगरप्रिंट में हेराफेरी कर फर्जी अभ्यर्थियों की पहचान छुपाई। परीक्षा से पहले और बाद दोनों वक्त आधार डेटा को बदलकर असली उम्मीदवारों की जगह फर्जी उम्मीदवारों ने परीक्षा दी।
धोखाधड़ी की जानकारी तब मिली जब पुलिस मुख्यालय ने दस्तावेज सत्यापन के दौरान बार-बार आधार अपडेट को संदिग्ध पाया। जांच में पाया गया कि ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर में कई फर्जी उम्मीदवारों को गिरफ्तार किया गया है, जो इस जालसाजी का हिस्सा थे।
इस मामले ने व्यापम घोटाले को फिर से याद दिला दिया है। भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता और बायोमेट्रिक पहचान प्रणाली की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा हो गया है। अधिकारियों ने फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कही है।
जांच में यह भी पता चला है कि ‘सॉल्वर’ गिरोह के साथ कियोस्क सेंटर संचालक भी इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। शिवपुरी में एक कोचिंग सेंटर संचालक की भी जांच की जा रही है, जिस पर ‘सॉल्वर’ व्यवस्था करने का आरोप है।
ग्वालियर एसएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि यह मामला एक बड़े संगठित नेटवर्क का हिस्सा है, जिसमें कई लोग शामिल हैं। जांच अभी भी जारी है और जल्द ही पूरे मामले का पर्दाफाश होगा।
यह मामला साफ करता है कि भर्ती प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाना जरूरी है। तकनीक के दुरुपयोग को रोकने के लिए नई रणनीतियों की जरूरत है ताकि फर्जीवाड़ा खत्म हो और योग्य उम्मीदवारों को मौका मिले।
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