
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र को ‘रामायण’ के रूप में मानवता को अमूल्य उपहार दिया। उनकी रचना केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। रामायण समरसता, समानता और मानवता का जीवंत संदेश देती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं। उन्होंने निषादराज को मित्र बनाया, शबरी के प्रेम से झूठे बेर खाए, हनुमान और वानर सेना को परिवार की तरह अपनाया। यही सच्ची समरसता है- जहां हर व्यक्ति में परमात्मा का अंश देखा जाए।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को भोपाल के मानस भवन में आयोजित ‘समरसता सम्मेलन’ को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम महर्षि वाल्मीकि जयंती प्रकटोत्सव के अवसर पर आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और राज्यसभा सांसद एवं श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम, उज्जैन के पीठाधीश्वर बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने दीप प्रज्ज्वलन कर सम्मेलन का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज के सतत विकास के लिए सबसे पहली आवश्यकता सामाजिक समरसता की है। यह केवल एक विचार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा है। जब समाज आपसी सौहार्द, प्रेम और भाईचारे की भावना से चलता है, तभी राष्ट्र सशक्त और समृद्ध बनता है।
उन्होंने कहा कि सच्ची समरसता वही है, जहां हर व्यक्ति में परमात्मा का अंश देखा जाए। महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण जैसी अमर कृति के माध्यम से न केवल भगवान श्रीराम के आदर्श जीवन का चित्रण किया, बल्कि उस समय की सामाजिक व्यवस्था और मानवीय मूल्यों को भी उजागर किया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान राम का उल्टा नाम जपते-जपते रत्नाकर ही महर्षि वाल्मीकि बन गए। उनका जीवन तपस्या, आत्मसुधार और मानवता की मिसाल है। उन्होंने केवल श्रीराम का चरित्र नहीं लिखा, बल्कि मानवता का लेखन किया।
डॉ. यादव ने कहा कि रामायण सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि सेवा, करुणा और सामाजिक समरसता का महान उदाहरण है। महर्षि वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में पिता-पुत्र, निषादराज, शबरी माता, हनुमान और सुग्रीव जैसे पात्रों के माध्यम से सेवा, समानता और आत्मीयता का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज महर्षि वाल्मीकि और उनकी रामायण दोनों ही एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। रामायण ने न केवल रामकथा को अमर किया, बल्कि भारतीय संस्कृति के आदर्शों को अमरत्व दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता भारतीयों के लिए कोई बाध्यता नहीं, बल्कि यह हमारे संस्कारों और जीवनधारा में रची-बसी है। उन्होंने कहा कि “हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा” — यह वाक्य समरसता का सबसे सुंदर उदाहरण है।
कार्यक्रम के दौरान वाल्मीकि समाज के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव को सफाईकर्मियों के नियमितिकरण सहित समाज के विकास से जुड़ी मांगें प्रस्तुत कीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सभी स्वच्छता मित्रों और सफाईकर्मियों का कल्याण सरकार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि वाल्मीकि समाज के बच्चे उद्योगपति, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और अधिकारी बनें। उन्हें हर जरूरी प्रोत्साहन दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वाल्मीकि समाज के विकास में कोई कमी नहीं रखी जाएगी।
राज्यसभा सांसद एवं श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम, उज्जैन के पीठाधीश्वर बालयोगी उमेशनाथ महाराज ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ की रचना कर भगवान श्रीराम के जीवन को जन-जन तक पहुंचाया।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम ने केवट को गले लगाकर और शबरी के बेर खाकर सामाजिक समरसता का आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी समरसता के भाव को सशक्त रूप से आगे बढ़ा रहे हैं। उनका ‘स्वच्छ भारत मिशन’ इसका जीवंत उदाहरण है, जिसमें उन्होंने स्वयं झाड़ू उठाकर समाज को प्रेरित किया।
बालयोगी महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव भी इसी भाव को आगे बढ़ा रहे हैं और समाज के हर वर्ग की समस्याओं का ईमानदारी और पारदर्शिता से समाधान कर रहे हैं।
सम्मेलन की शुरुआत में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का अखिल भारतीय वाल्मीकि सनातन धर्म सभा और मध्यप्रदेश वाल्मीकि एकता संघ द्वारा स्वागत किया गया। उन्हें महर्षि वाल्मीकि जी का चित्र, रामायण और अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। मुख्यमंत्री ने वाल्मीकि समाज के नागरिकों के साथ सहभोज किया।
स्वागत उद्बोधन सुनील वाल्मीकि ने दिया और अजय कदम ने आभार व्यक्त किया। यह कार्यक्रम अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना और महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाना था, ताकि समाज में एकता और समन्वय की भावना और मजबूत हो सके।
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