
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की औद्योगिक नीति अब सिर्फ दस्तावेजों तक सीमित नहीं रही है। यह नीति अब प्रदेश की धरती पर औद्योगिक परिवर्तन की मजबूत नींव बन चुकी है।
नर्मदापुरम जिले का मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्र इस बदलाव का सशक्त उदाहरण है, जहां राज्य सरकार ने विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के लिए एक आधुनिक औद्योगिक ढांचा तैयार किया है।
यह परियोजना आने वाले वर्षों में भारत के ग्रीन इंडस्ट्रियल ट्रांजिशन की दिशा तय करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का फोकस केवल निवेश तक सीमित नहीं है, बल्कि वे तकनीकी आत्मनिर्भरता, रोजगार सृजन और हरित विकास को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। यही दृष्टि मोहासा-बाबई प्रोजेक्ट को एक सामान्य औद्योगिक योजना से आगे बढ़ाकर भविष्य की औद्योगिक क्रांति का आधार बना रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि औद्योगिक विकास केवल पूंजी निवेश नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक बदलाव का माध्यम होना चाहिए। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि उद्योग केवल शहरों तक सीमित न रहें, बल्कि जिला और विकासखंड स्तर तक उनका विस्तार हो। इससे स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार और उद्यम के अवसर मिल रहे हैं।
यह विजन “विकास का विकेन्द्रीकरण” का उदाहरण है, जिसमें स्थानीय संसाधन, कौशल विकास और पर्यावरण संरक्षण तीनों को समान महत्व दिया जा रहा है।
राज्य सरकार ने नर्मदापुरम जिले के मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्र को ग्रीन फील्ड मैन्युफैक्चरिंग जोन फॉर पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट के रूप में विकसित किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के संकल्प और औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के सुविचारित कदमों से यह परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुकी है। यहां निवेश आकर्षित करने और उद्योगों को आवश्यक सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार ने ऐसी नीतियां लागू की हैं, जो निवेशकों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती हैं।
मोहासा-बाबई औद्योगिक क्षेत्र के फेज-1 में कुल 884 एकड़ भूमि पर 22 औद्योगिक इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं। इन इकाइयों को 514.50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। यहां 17,750 करोड़ रुपये का निवेश और 21,777 लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है।
यू एनर्जी, लेण्डसमिल ग्रीन एनर्जी, रेज ग्रीन एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग जैसी प्रमुख कंपनियों ने अपने भूखंडों पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। फेज-1 की सफलता ने राज्य सरकार को अगले चरण के विकास- फेज-2की दिशा में आगे बढ़ने का मजबूत आधार दिया है।
फेज-2 में कुल 9 औद्योगिक इकाइयों को 551 एकड़ भूमि दी गई है। इनमें से 7 इकाइयाँ विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा उपकरण निर्माण क्षेत्र में कार्य करेंगी और 2 इकाइयाँ औद्योगिक क्षेत्र मोहासा-बाबई के अंतर्गत स्थापित होंगी।
इन इकाइयों में कुल 39,210.55 करोड़ रुपये का निवेश और 14,777 रोजगार के अवसर प्रस्तावित हैं। इनमें शामिल हैं:
औद्योगिक क्षेत्र मोहासा-बाबई फेज-2 में -
फेज-2 के निवेशकों को राज्य सरकार द्वारा बेहद आकर्षक रियायतें दी जा रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
इन सुविधाओं से मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए भारत का सबसे आकर्षक औद्योगिक गंतव्य बनता जा रहा है।
मोहासा-बाबई परियोजना हरित ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ स्वच्छ और सस्टेनेबल उद्योगों का उदाहरण बन रही है। यहां स्थापित इकाइयाँ सौर ऊर्जा, बैटरी निर्माण और ऊर्जा उपकरण तैयार करेंगी, जिससे भारत की आयात निर्भरता घटेगी और प्रदेश ऊर्जा उपकरण निर्माण का केंद्र बनेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का संकल्प है कि हर औद्योगिक परियोजना विकास का नया मानक स्थापित करे और मध्यप्रदेश की औद्योगिक पहचान को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर नई ऊँचाइयों तक पहुंचाए। मोहासा-बाबई प्रोजेक्ट आज उसी संकल्प का एक सशक्त और सफल उदाहरण बन चुका है।
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