
Bina MLA Nirmala Sapre News: मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर रहस्यमयी मोड़ आ गया है। बीना की निर्दलीय विधायक निर्मला सप्रे, जिन्होंने हाल ही में बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी, अब दोनों दलों से दूरी बना रही हैं। वहीं, भोपाल में उनकी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष से हुई गुप्त मुलाकात ने सियासी हलचल और भी तेज कर दी है।
बीजेपी के साथ दिखाई दे रहीं सप्रे की चुप्पी और कांग्रेस के हमलों ने राजनीतिक समीकरणों को उलझा दिया है। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि सप्रे ने जनता से विश्वासघात किया है, वहीं बीजेपी नेताओं की ओर से कोई साफ बयान नहीं आया है। इस चुप्पी के पीछे क्या कोई बड़ा सियासी सौदा है?
Nirmala Sapre मध्य प्रदेश की राजनीति में एक चर्चित चेहरा हैं। निर्मला सप्रे 2018 में कांग्रेस से विधायक बनी थीं, लेकिन बाद में पार्टी से अलग हो गईं। वर्तमान में वे निर्दलीय विधायक हैं, जिन्होंने विश्वास मत के दौरान BJP को समर्थन देकर सबको चौंका दिया था। वह एक निर्दलीय विधायक रही हैं, लेकिन उन्हें कांग्रेस के करीबी माने जाने वाले नेताओं में गिना जाता रहा है। उनकी राजनीतिक रणनीति और कार्यशैली ने हमेशा उन्हें सुर्खियों में रखा है।
हाल ही में यह खबर तेजी से वायरल हो रही है कि Nirmala Sapre कांग्रेस का दामन छोड़ सकती हैं और भाजपा में शामिल हो सकती हैं। हालांकि उन्होंने इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन उनकी हालिया मुलाकातें और राजनीतिक गतिविधियां इस ओर इशारा कर रही हैं कि वे जल्द ही कोई बड़ा निर्णय ले सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार, निर्मला सप्रे लंबे समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज़ चल रही थीं। उनका कहना है कि पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उनका यह भी आरोप है कि कांग्रेस अब जनसेवा से दूर होती जा रही है। ऐसे में उन्होंने अपनी राजनीतिक राह को बदलने का मन बना लिया है।
मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार मजबूत दिख रही है, लेकिन अगर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायक पाला बदलते हैं, तो यह राजनीतिक समीकरण को हिला सकते हैं। Nirmala Sapre जैसे विधायकों की भूमिका इस समय बेहद निर्णायक मानी जा रही है।
लेटेस्ट खबरों के अनुसार, Nirmala Sapre ने कांग्रेस से दूरी बना ली है और उनकी भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हो चुकी है। ऐसी भी जानकारी है कि वे जल्द ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर सकती हैं। यदि यह होता है तो यह मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा झटका साबित हो सकता है।
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