मध्य प्रदेश के परिवहन अधिकारी सौरभ शर्मा की कॉन्स्टेबल से करोड़पति बनने की असाधारण कहानी जांच के घेरे में। सौरभ शर्मा की ग्वालियर से दुबई तक, संपत्ति और काली कमाई के रहस्य उजागर हो रहे हैं। पढ़ें पूरी कहानी।
भोपाल। मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा का नाम इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति के मामलों में घिरे सौरभ शर्मा पर आयकर और लोकायुक्त विभाग ने शिकंजा कस दिया है। हाल ही में उनके करीबी चेतन सिंह गौर की कार से 54 किलो सोना और 9 करोड़ से ज्यादा की नकदी बरामद होने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया।
सौरभ शर्मा मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं। उसकी ससुराल रतलाम में है और उसके साले शुभम तिवारी पर भी भ्रष्टाचार में शामिल होने का शक जताया जा रहा है। शुभम ने हाल ही में अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया और वह ग्वालियर छोड़कर कहीं गायब हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, सौरभ शर्मा और उसकी पत्नी दिव्या फिलहाल दुबई में हैं। दिव्या भोपाल में एक फिटनेस क्लब की मालिक थीं। लोकायुक्त के छापे के बाद से उनके परिवार और करीबी रिश्तेदारों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स डिलीट कर दिए हैं। उसकी मां उमा शर्मा और दोस्त चेतन सिंह गौर गिरफ्तार हो चुके हैं। उसके पिता सरकारी डाक्टर थे। 2015 में उनकी मौत के बाद सौरभ को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी।
सौरभ ने अपने करियर की शुरुआत ग्वालियर में परिवहन विभाग के आरक्षक के तौर पर की थी। उनके संपर्क बढ़ने के साथ ही उन्होंने कांग्रेस सरकार के दौरान परिवहन चेक पोस्टों के ठेके हासिल कर अपनी पावर बढ़ाई। जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब सौरभ ने कई बड़े अधिकारियों को दरकिनार कर दिया था।
सौरभ शर्मा की अनुकंपा नियुक्ति भी अब सवालों के घेरे में है। ग्वालियर के वकील अवधेश तोमर ने आरटीआई के जरिए उनकी नियुक्ति में अनियमितताओं की जानकारी मांगी थी, लेकिन विभाग ने कोई उत्तर नहीं दिया।
सौरभ शर्मा की संपत्ति में ग्वालियर, भोपाल और अन्य स्थानों पर होटल, रियल एस्टेट और अन्य व्यापार शामिल हैं। उनके पार्टनर्स में शरद जायसवाल और रोहित तिवारी जैसे लोग शामिल हैं। इस पूरे मामले में भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीति गरमा गई है। जहां भाजपा सरकार ने सौरभ शर्मा पर कार्रवाई तेज कर दी है, वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
जांचकर्ताओं ने सौरभ शर्मा से जुड़ी कई बेहिसाब संपत्तियों का पता लगाया है, जिसमें 52 किलो सोना, 9.86 करोड़ नकद, 200 किलो चांदी की छड़ें, और हीरे के आभूषण शामिल हैं। इसके अलावा, आयकर विभाग ने उनके दुबई कनेक्शन और पूर्व मंत्रियों, शराब व्यवसायियों तथा बड़े आईएएस अधिकारियों के साथ संबंधों की जांच शुरू की है।
सौरभ शर्मा ने अपने पद का उपयोग करते हुए चिरूला बैरियर का ठेका लिया और कमाई का बड़ा नेटवर्क बनाया। बाद में, उन्होंने कई बैरियर के ठेके लेकर अपना प्रभाव बढ़ाया। उनके नेटवर्क के माध्यम से आरटीओ में कार्यरत अन्य अधिकारियों ने उनकी गतिविधियों पर नज़र रखनी शुरू कर दी।
सौरभ शर्मा का प्रभाव सिर्फ परिवहन विभाग तक सीमित नहीं रहा। उनके संबंध राजनीतिक हस्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों तक भी पहुंचे। लेकिन सरकार बदलने और पुराने संपर्क कमजोर पड़ने के कारण, सौरभ की गतिविधियां उजागर हो गईं। अब आयकर विभाग और अन्य एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं। अब सवाल ये है कि क्या सौरभ शर्मा का भ्रष्टाचार का खेल खत्म होगा, या इसमें और चौंकाने वाले खुलासे होंगे? यह देखना अभी बाकी है।
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