मध्य प्रदेश में दमोह में राष्ट्रीय लोक अदालत के जरिए पति-पत्नी के बीच सौतन के शक से उपजा विवाद सुलझा। न्यायाधीशों की समझाइश और बच्चों के भविष्य की चिंता ने रिश्ते को फिर से जोड़ा। जानें पूरी कहानी।
दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह जिले में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसने यह साबित कर दिया कि संवाद और समझदारी से रिश्तों को दोबारा जोड़ा जा सकता है। पति-पत्नी के बीच सौतन के शक से उपजे विवाद ने उन्हें कोर्ट तक पहुंचा दिया था। लेकिन न्यायाधीशों की सलाह और बच्चों के भविष्य की चिंता ने इस दंपति को फिर से एक कर दिया।
तेजगढ़ थाना क्षेत्र के सलैया हटरी गांव निवासी प्रीति और बटियागढ़ के करके मोहल्ला निवासी प्रह्लाद पाल की शादी 2017 में हुई थी। इस दंपति के दो बच्चे हैं। हालांकि, प्रीति को प्रह्लाद पर दूसरी महिला से संबंध होने का शक हुआ। इस शक ने उनके रिश्ते में खटास डाल दी और अप्रैल 2024 में प्रीति अपने बच्चों को लेकर मायके चली गई। उन्होंने अपने पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया और भरण-पोषण का केस भी दायर कर दिया।
14 दिसंबर 2024 को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में यह मामला प्रधान न्यायाधीश आनंद तिवारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव धर्मेश भट्ट, और फेमिली कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद अजहर खान के मार्गदर्शन में पेश हुआ। दोनों पक्षों के वकीलों, राकेश प्रजापति और लक्ष्मीकांत, ने इस दंपति को समझाया कि कोर्ट-कचहरी के झमेलों से परिवार और टूट सकता है। न्यायालय ने दोनों को बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए साथ रहने का महत्व समझाया।
फेमिली कोर्ट के न्यायाधीश मोहम्मद अजहर खान की समझाइश और परिवारों की सहमति से प्रीति और प्रह्लाद ने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर फिर से एक-दूसरे का हाथ थाम लिया। उन्होंने बच्चों के भविष्य के लिए मिलकर काम करने और जीवन भर साथ रहने का वादा किया। मामले के अंत में दोनों पक्षों को पौधे भेंट किए गए और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की गई। इस सुलह ने यह संदेश दिया कि संवाद और धैर्य से किसी भी रिश्ते की दरार को भरा जा सकता है।