मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब शिवराज सरकार ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। अब वह चुनाव लड़ सकती हैं। लेकिन सवाल यह है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
बैतूल. आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। दरअसल, हाईकोर्ट के दखल के बाद समान्य प्रशासन ने बांगरे का इस्तीफा को मंजूर किया है। इतना ही नहीं शिवराज सरकार ने निशा के खिलाफ चल रही विभागी जांच को भी बंद कर दिया है। अब उनके विधानसभा चुनाव लड़ने का रास्ता एकदम साफ हो गया है।
'यह नारी शक्ति की जीत'
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा ने ट्वीट कर सबसे पहले निशा बांगरे के इस्तीफे मंजूर होने जानकारी दी। सा ही उन्होंने लिखा-मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के पालन में निशा बाँगड़े का त्याग पत्र स्वीकार कर लिए। विभागीय इनक्वायरी भी समाप्त कर दी सेंसर के साथ। अब निशा को अपनी आगे का रास्ता के बारे में सोचना पड़ेगा। कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार अमला बैतूल से एक दिन पूर्व घोषित कर चुकी है। यह कोई महिला अधिकारी की जीत नहीं है। यह नारी शक्ति की जीत है। शिवराज जी और उनके मुख्य सचिव ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी की निशा का त्याग पत्र स्वीकार ना हो। विजयदशमी के दिन आदेश हस्ताक्षरित हुआ। सत्य की जीत हुई।
इस्तीफे के एक दिन पहले कांग्रेस घोषित किया प्रत्याशी
बता दें कि निशा बैतूल की आमला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। इसका वह पहले ही ऐलान कर चुकी हैं। इसके लिए उन्होंने बैतूल से भोपल तक न्याय यात्रा भी निकाली थी। इसी वजह से उन्होंने डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा दे दिया था। चर्चा है कि वह कांग्रसे के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। लेकिन सवाल यह है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस ने आमाला से मनोज मालवे को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हालांकि चर्चा है कि कांग्रेस निशा की खातिर अपना प्रत्याशी बदल भी सकती है।
जानिए क्या है पूरा मामला जो डिप्टी कलेक्टर ने दिया इस्तीफा
निशा बांगरे ने बीते 25 जून को आमला में अपने घर एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सामान्य विभाग को छुट्टी के लिए आवदेन दिया था। लेकिन विभाग की तरफ से उनकी छुट्टी मंजूर नहीं की गई। इसके दो दिन बाद निशा ने 22 जून को अपने विभाग को एक लेटर लिखकर इस्तीफा दे दिया। लेकिन विभाग ने उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया। तभी से लेकर यह लड़ाई जारी थी। जब शिवराज सरकार ने नहीं सुनी तो वह कोर्ट गईं और अब कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इस्तीफा मंजूर कर लिया है।