यह सम्राट विक्रमादित्य के युग का पुन: प्रकटीकरण है: मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव

Published : Apr 14, 2025, 10:57 PM IST
Mohan Yadav address before natya manchan

सार

Samrat Vikramaditya Mahanatya: सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन दिल्ली के लाल किले में तीन दिनों से किया जा रहा है। 

Samrat Vikramaditya Mahanatya: सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन दिल्ली के लाल किले में तीन दिनों से किया जा रहा है। समापन समारोह में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि लाल किले की प्राचीर पर सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन अद्भुत है। आज महानाट्य का अंतिम दिन है। लाल किले की प्राचीर तले जो महानाट्य का मंचन हो रहा है यह एक तरह से सम्राट विक्रमादित्य के युग का पुनः प्रकटीकरण है।

डॉ.मोहन यादव ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विरासत के विकास की बात कर रहे हैं। उनके कार्यकाल को सुशासन के रूप में जाना जाता है। ठीक वैसे ही, जब न्यायप्रियता की बात होती है, वीरता की बात होती है, विनम्रता की बात होती है, दानशीलता की बात होती है, तब-तब हमको सदैव हमें सम्राट विक्रमादित्य के सुशासन का दौर याद आता है।

उन्होंने कहा कि मैं मध्यप्रदेश सरकार की ओर से दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को बधाई देना चाहूंगा। वे कार्यक्रम की स्वागताध्यक्ष भी हैं और यहां की आयोजक भी हैं। वे हमें लगातार प्रेरणा भी दे रही हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कलाकारों ने सम्राट विक्रमादित्य के महानाट्य के माध्यम से उनके जीवन के विविध पक्षों को, उनके युग को जीवंत कर दिया। सच्चे अर्थों में 5 हजार साल के इतिहास में हमारे पास ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि हमारे देश में लोकतंक्ष युगों-युगों से है।

डॉ.मोहन यादव ने कहा कि महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने भी लोकराज्य की स्थापना की। उसी तरह 2 हजार साल पहले सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल था। उन्होंने भी अपने आप को राजा, सम्राट कहलवाना पसंद नहीं किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं को प्रधान सेवक कहलवाते हैं। ये हमारे शासकों की महान उदारता दर्शाता है।

उन्होंने कहा कि इस महानाट्य में कलाकारों ने अद्भुत संकल्पना प्रदर्शित की है। इस महानाट्य के मंचन से कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रमाण पेश किए। जब सम्राट विक्रमादित्य अपनी पत्नी के भाइयों को बंदी बनाकर लाते हैं, तब उनकी पत्नी कहती है मेरे भाइयों का अपराध क्षमा कर दो, लेकिन उस वक्त भी सम्राट विक्रमादित्य ने न्यायप्रियता नहीं छोड़ी। वे पत्नी से कहते हैं कि मेरा देश पहले है इसलिए अपराधी को क्षमा नहीं कर सकते। उसी वक्त वे न्याय करते हैं। वे अपराधियों को दंडित करते हैं।

मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने कहा कि वीरता, दानशीलता, चोरों का जीवन बदलना, उनकी बत्तीय पुतलियों की घटना, बेताल पच्चीसी की घटना, उनकी सभी कहानियां प्रेरणादायक हैं।

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