मध्य प्रदेश में गजब हो गया: हजारों की संख्या में बना लिए फर्जी कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट, चौंकाने वाला खुलासा

मध्य प्रदेश के भिंड शहर से सनसनीखेज खबर सामने आई है। यहां कोविड वैक्सीनेशन के नकली सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है। जिला कलेक्टर ने इसकी जांच साइबर सेल को सौंपी है। कलेक्टर का कहना है कि टेक्निकल लूपहोल्स का आरोपियों ने उठाया फायदा।

भिंड (bhind News). मध्य प्रदेश के भिंड शहर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। इस मामले की जांच के लिए जिला कलेक्टर सतीश कुमार एस के निर्देश पर साइबर सेल को जांच सौंपी गई है। दरअसल शहर में हजारों की संख्या में फेक कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी करने का मामला सामने आया है। घटना का खुलासा होने के बाद से ही शहर से लेकर राजधानी भोपाल तक हेल्थ डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया। वहीं कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए है।

ये है भिंड का पूरा शॉकिंग मामला

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दरअसल भिंड शहर में पिछले 15 दिनों में 4 हजार से ज्यादा लोगों के नकली कोविड वेक्सीनेशन सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए। सबसे बड़ी बात है कि शहर में पिछले 6 महीने से कोविड वैक्सीन ही उपलब्ध नहीं है। इसके बाद भी सरकारी पोर्टल से कोविड सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए। हैरानी तो इस बात है कि जिनको सर्टिफिकेट जारी किए गए है वे एमपी के ना होकर बाहरी राज्यों के थे। जिनको सर्टिफिकेट जारी किए गए है सभी पासपोर्ट धारक है और देश से बाहर के रहने वाले है। इसके लिए इनको वीजा के साथ वैक्सीन सर्टिफिकेट की जरूरत थी।

स्वास्थ्य केंद्र की आईडी बंद करने के बाद भी जारी हुए सर्टिफिकेट

नकली सर्टिफिकेट जारी होने का पता चलने के बाद अधिकारियों ने जिला कलेक्टर के सामने ही स्वास्थ्य विभाग की आईडी को क्लोज किया गया। लेकिन इसके बाद भी सर्टिफिकेट बनते जा रहे थे। इसके चलते उप स्वास्थ्य केंद्र की आईडी को डिएक्टिवेट किया गया है। वहीं जिनको प्रमाण पत्र जारी उनकी लिस्ट निकाल संपर्क किया गया तो उन्होंने किसी एजेंट से सर्टिफिकेट मिलना बताया।

भिंड जिला कलेक्टर ने टैक्नीकल लूपहोल की दी जानकारी

वहीं फर्जी सर्टिफिकेट जारी होने के मामले का पता चलने के बाद जिला कलेक्टर ने टेक्निकल लूपहोल की बात को स्वीकार किया है। साथ ही कहा कि पूरा मामला पोर्टल के दुरुपयोग का है। इसलिए इसकी जांच कराना आवश्यक है। कलेक्टर ने इसके लिए भोपाल की NHM एमपी की आईटी टीम और भिंड पुलिस को जांच के आदेश दिए है। हालांकि इस घटना में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुछ भी बयान देने से बच रहे है। वहीं इस मामले में सोनी उप स्वास्थ्य केंद्र से सर्टिफिकेट जारी किए गए है वहां कार्यकर रहे एसएचसी स्टाफ, सहायक नर्स और डाटा इंट्री ऑपरेटर के बयान लिए गए है।

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