म.प्र. के वनों की सुरक्षा में तकनीक का कमाल: जानिए कैसे हो रहा है डिजिटल बदलाव

Published : Apr 16, 2025, 12:23 PM IST
CM Mohan Yadav

सार

मध्यप्रदेश में वनों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए जीआईएस तकनीक और डिजिटल मानचित्रों का उपयोग किया जा रहा है। इससे वन्यजीवों के लिए जल स्रोतों की पहचान और वन अग्नि की घटनाओं में कमी लाने में मदद मिल रही है।

मध्यप्रदेश। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि वनों के संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा के लिये प्रदेश में निरंतर प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री की मंशानुसार विभिन्न विभागों द्वारा इस दिशा में सकारात्मक प्रयास किये जा रहे हैं। वन विभाग द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी तकनीकों के उपयोग से वनों की सुरक्षा एवं संरक्षण में गतिशीलता लाने के लिये जीआईएस तकनीक का प्रयोग वन क्षेत्रों के नक्शों के निर्माण एवं संधारण के लिये किया जा रहा है। वन विभाग द्वारा वनों का वैज्ञानिक दृष्टि से इस तरह प्रबंधन करना, जिससे न सिर्फ ग्रामवासियों को वनों से जीविकोपार्जन का स्रोत निरंतर बना रहे, बल्कि प्रबंधन में भी उनकी भागीदारी सशक्त करने का सार्थक प्रयास है। साथ ही इससे यह भी सुनिश्चित करना है कि वन एक प्राकृतिक धरोहर के रूप में संवहनीय, संरक्षित एवं संवर्धित संसाधन के रूप में विकसित होता रहे। मध्यप्रदेश वन एवं वन्य-जीव संरक्षण एवं संवर्धन में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में अपना स्थान रखता है।

वनखण्डों के मानचित्रों का डिजिटाइजेशन

वन विभाग में वनखण्डों के मूल मानचित्रों एवं राजस्व विभाग के खसरेवार उपलब्ध जीआईएस डेटा का उपयोग कर नक्शे तैयार किये गये हैं। अभी तक 64 वन मण्डल में से 40 के परिष्कृत मानचित्र तैयार किये गये हैं एवं 23 वन मण्डलों के वन क्षेत्रों के मानचित्रों का सुधार कार्य प्रगति पर है, इसे शीघ्र पूर्ण किया जायेगा। मेप आईटी से अन्य शासकीय संस्थाओं को भी डेटा प्रदाय किया गया है। इससे वनों के संरक्षण में मदद मिल रही है।

प्रदेश के सभी वन मण्डलों के फायर नक्शों का निर्माण सेटेलाइट डेटा के उपयोग से किया गया है, जिसे http://www.mpforest.gov.in/Publicdomain/atlas/FireAtlas.pdf पर उपलब्ध कराया गया है। सेटेलाइट डेटा कम्पाटमेंट में पिछले 5 वर्षों से कोई वन अग्नि की घटना नहीं होने को हरे रंग से दर्शाया गया है तथा वन अग्नि की घटनाओं वाले क्षेत्रों को लाल रंग से दर्शाया गया है। इससे जंगलों में अग्नि की घटनाओं में कमी आयी है।

जल स्रोतों के मानचित्र का एटलस

मध्यप्रदेश देश का टाइगर स्टेट है। हमारे वन विविध प्रकार के जीव-जंतुओं से परिपूर्ण हैं। ग्रीष्म ऋतु में वन्य-जीवों के लिये पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना वन्य-जीव प्रबंधन के लिये आवश्यक रहता है। इसके लिये सतही जल-स्रोतों की पहचान कर उनको सूचीबद्ध कर प्रबंधन योजना में सम्मिलित किया जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी द्वारा मध्यप्रदेश के समस्त वन मण्डलों के सतही जल-स्रोतों का मानचित्रिकरण कर उन्हें http://www.mpforest.gov.in/publicdomain/atlas_MNDWI.pdf पर उपलब्ध कराया गया है। इन मानचित्रों को ग्रीष्म ऋतु के सेटेलाइट रिमोट सेंसिंग डेटा के उपयोग से बनाया गया है। इससे वनों में जल-स्रोतों में बढ़ोत्तरी हुई है।

वनों के भीतर विभिन्न वानिकी गतिविधियों के लिये क्षेत्र चयन के लिये सूचना प्रौद्योगिकी शाखा द्वारा डिजिटल एलीवेशन मॉडल की आधुनिक तकनीक के उपयोग से विभिन्न संरक्षित क्षेत्रों तथा वन मण्डलों के थ्री-डी मानचित्रों /decision support system का निर्माण कर http://www.mpforest.gov.in/Public domain/atlas/index.html पर उपलब्ध कराया गया है।

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