B.E. समोसा: इंजीनियरिंग की डिग्री और समोसे का ठेला- भाई-बहन की सक्सेज स्टोरी

Published : Dec 31, 2024, 11:46 AM IST
Be Samosa

सार

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में कंप्यूटर इंजीनियर आदर्श खरे और उनकी बीएससी पास बहन ने बेरोजगारी के खिलाफ संघर्ष करते हुए समोसे और पानी पुरी की दुकान 'बी.ई. समोसा' शुरू की। जानें भाई-बहन की प्रेरणादायक सक्सेज स्टोरी।

टीकमगढ़। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। यहां कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग डिग्रीधारी आदर्श खरे और उनकी बीएससी पास बड़ी बहन ने बेरोजगारी के खिलाफ संघर्ष करते हुए समोसे और पानी पुरी की दुकान शुरू की है। उनकी यह दुकान मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की फायर ब्रांड नेता मानी जाने वाली सुश्री उमा भारती के बंगले के ठीक सामने सिविल लाइन में लगती है, जो स्थानीय लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

चार साल तक नहीं मिली नौकरी, तब शुरू किया खुद का व्यवसाय 

आदर्श खरे ने 2020 में सागर से कंप्यूटर साइंस में बी.ई. की डिग्री हासिल की। इसके बाद चार साल तक उन्होंने रोजगार की तलाश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी दौरान वर्ष 2014 में उनके पिता का और 2013 में मां का निधन हो गया, जिससे घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई। नौकरी की तलाश में भटक रहे आदर्श को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था कि आखिर वो करें तो क्या करें।

बड़ी बहन के साथ मिलकर शुरू किया खुद का रोजगार

रोजगार के अवसर नहीं मिलने पर उन्होंने अपनी बहन के साथ मिलकर एक नया रास्ता अपनाया। उन्होंने 'बी.ई. समोसा' नाम से एक स्टॉल शुरू किया। काफी खोजबीन के बाद उन्होंने सिविल लाइंस एरिया में पुलिस लाइन के समीप स्थित पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के बंगले के सामने अपनी बीई समोसा की रेढ़ी लगाना शुरू कर दिया। यह दुकान सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक चलती है, जिसमें बहन समोसे तैयार करती हैं और आदर्श उन्हें तलते हैं।

 

कैसे आया ‘बी.ई. समोसा’ नाम रखने का आईडिया?

आदर्श ने अपनी दुकान का नाम 'बी.ई. समोसा' इसलिए रखा ताकि लोग समझ सकें कि उच्च शिक्षा के बावजूद अगर नौकरी नहीं मिले, तो खुद का व्यवसाय शुरू कर आत्मनिर्भर बना जा सकता है। उनका मानना है कि शिक्षा केवल नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि जीवन की चुनौतियों से लड़ने का साहस भी देती है। दुकान के नाम के बारे में आदर्श बताते हैं कि चूंकि उन्होंने बीई की पढ़ाई की थी। अपने व्यवसाय के जरिए हम पढ़े लिखे लेकिन काम की तलाश में भटक रहे युवाओं को जागरुक करना चाहते हैं कि पढ़ाई की कोई भी डिग्री हो, अपना रोजगार शुरू किया जा सकता है। इसलिए अपनी दुकान का नाम बीई समोसा रखा।

बेरोजगारी पर सवाल 

इलाके के वरिष्ठ पत्रकार अनिल रावत ने इस कहानी को प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी पर एक बड़ा सवाल बताया। उन्होंने कहा, "यह घटना सरकार के लिए चेतावनी है कि युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं, न कि उन्हें फ्री योजनाओं पर निर्भर बनाया जाए।"

प्रेरणा का स्रोत

टीकमगढ़ में आदर्श और उनकी बहन की यह पहल न केवल युवाओं के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह दिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी आत्मनिर्भर बनने का रास्ता खोजा जा सकता है।

 

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