
भोपाल। 7 नवंबर का दिन मध्यप्रदेश के लिए ऐतिहासिक रहा। पूरा प्रदेश देशभक्ति से सराबोर नजर आया। हर किसी की जबान पर वंदे मातरम् गीत था और लोग इसे पूरे जोश के साथ आत्मसात करते दिखे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल स्थित शौर्य स्मारक में भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और दीप प्रज्जवलित कर इस उत्सव का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत भारत की आजादी का मूल मंत्र बना था। उन्होंने बताया कि जब आजादी के बाद राष्ट्रगीत को अपनाने का समय आया, तब कुछ लोगों ने देश को भ्रमित करने की कोशिश की। इसलिए वंदे मातरम् के इतिहास को जानना जरूरी है। सीएम ने जनता को स्वदेशी अपनाने का संकल्प भी दिलाया और इस अवसर पर वंदे मातरम् के इतिहास व महत्व पर आधारित एक विशेष पत्रिका का विमोचन किया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि वंदे मातरम् के 150वें स्मरणोत्सव का आयोजन चार चरणों में एक वर्ष तक किया जाएगा। यह उत्सव 7 नवंबर 2026 तक चलेगा। इस दौरान राष्ट्रीय त्योहारों और विशेष अवसरों पर वंदे मातरम् से जुड़े आयोजन किए जाएंगे।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि इस स्मरणोत्सव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मनोभाव और कल्पनाशक्ति को महसूस किया जा सकता है। पीएम मोदी ने 150 साल पुराने इस गीत की महिमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने स्वतंत्रता संग्राम के दौर में लोगों की आत्मा को आंदोलित किया और उन्हें आजादी के लिए प्रेरित किया। यह गीत केवल शब्द नहीं, बल्कि भारत के लिए एक जीवंत मंत्र बन गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के उस दौर में जब भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसे वीरों ने बलिदान दिया, तब वंदे मातरम् हर क्रांतिकारी के दिल की आवाज था। यह गीत उस समय भारतीय समाज के लिए प्राणशक्ति बन गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर देश की आजादी के आंदोलन में शब्दों की विशेष भूमिका होती है। जैसे अमेरिका और इंग्लैंड में स्वतंत्रता के समय गीतों और नारों ने लोगों को एकजुट किया, वैसे ही भारत में वंदे मातरम् ने राष्ट्र की चेतना जगाई। उन्होंने कहा कि “कदम-कदम बढ़ाए जा...” गीत को पुलिस बैंड ने शानदार प्रस्तुति दी, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की भावना से जुड़ा है। इस गीत में मां सरस्वती, लक्ष्मी और मातृभूमि की त्रिदेवी संस्कृति का समावेश है।
सीएम ने कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1950 में कहा था कि जन गण मन के साथ-साथ राष्ट्रगीत वंदे मातरम् को भी समान सम्मान दिया जाना चाहिए। उन्होंने इस संदेश को आज के समय में भी प्रासंगिक बताया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनता को भारत माता की सेवा और सम्मान का संकल्प दिलाया। जनता ने प्रतिज्ञा ली कि वे अपने दैनिक जीवन में अधिकतम भारतीय उत्पादों का उपयोग करेंगे, आयातित वस्तुओं की जगह देशी विकल्प अपनाएंगे, स्थानीय उद्योगों और किसानों का समर्थन करेंगे, और भारतीय भाषाओं व पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों को प्राथमिकता देंगे। उन्होंने कहा कि देश के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देना और नई पीढ़ी को स्वदेशी की भावना से जोड़ना हर नागरिक का कर्तव्य है।
इसी अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में वंदे मातरम् पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने वंदे मातरम् के समूह गान में भाग लिया और इस गीत के 150वें स्मरणोत्सव पर एक डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी किया। पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् एक शब्द नहीं, बल्कि एक ऊर्जा, एक संकल्प और एक स्वप्न है। यह मां भारती की साधना और आराधना है, जो हमें आत्मविश्वास और भविष्य के लिए हौसला देती है। उन्होंने कहा कि इतने सारे लोगों की एक स्वर में गूंजती आवाजें भारत की एकता का प्रतीक हैं।
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