बॉम्बे हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: कपल्स के बीच शारीरिक-मानसिक जुड़ाव नहीं होने पर शादी किया कैंसिल

हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने ऐतिहासिक फैसले मं कहा कि ऐसी शादी को वैलिड नहीं माना जा सकता जिसमें मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से जोड़े एक दूसरे से जुड़ नहीं पाते हों।

Dheerendra Gopal | Published : Apr 21, 2024 11:43 AM IST

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक लगाव न होने की वजह से एक युवा जोड़े की शादी को इनवैलिड करार दिया है। हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने अपने ऐतिहासिक फैसले मं कहा कि ऐसी शादी को वैलिड नहीं माना जा सकता जिसमें मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से जोड़े एक दूसरे से जुड़ नहीं पाते हों। रिलेटिव इंपोटेंसी वाले कपल्स की निराशा की पीड़ा को कभी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

औरंगाबाद बेंच की जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस एसजी चपलगांवकर ने बीते हफ्ते इस मामले में सुनवाई करते हुए शादी को अवैध करार दे दिया। बेंच ने कहा कि यह विवाह से पीड़ित युवा पीड़ितों की मदद करने के लिए एक उपयुक्त मामला था जो मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से एक-दूसरे से नहीं जुड़ सकते थे।

Latest Videos

रिलेटिव इंपोटेंसी यानी सापेक्ष नपुंसकता को कैसे कोर्ट ने परिभषित किया?

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अभिव्यक्ति 'सापेक्ष नपुंसकता' एक ज्ञात घटना है। यह सामान्य नपुंसकता से अलग है, जिसका अर्थ सामान्य रूप से मैथुन करने में असमर्थता है। सापेक्ष नपुंसकता मोटे तौर पर ऐसी स्थिति की ओर इशारा करती है जहां एक व्यक्ति सेक्स करने में सक्षम हो सकता है लेकिन जीवनसाथी के साथ ऐसा करने में असमर्थ होता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी रिलेटिव इंपोटेंसी के कई शारीरिक और मानसिक कारण हो सकते हैं। बेंच ने कहा कि वर्तमान मामले में यह आसानी से समझा जा सकता है कि पति में पत्नी के प्रति सापेक्ष नपुंसकता है। शादी न होने का कारण पति की यह स्पष्ट सापेक्ष नपुंसकता है।

व्यक्ति ने शुरू में अपनी पत्नी पर यौन संबंध न बनाने का आरोप लगाया होगा क्योंकि वह यह स्वीकार करने में झिझक रहा था कि उसके मन में उसके प्रति सापेक्षिक नपुंसकता है। हालांकि, बाद में, उन्होंने इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि इससे उन पर आजीवन कलंक नहीं लगेगा। सापेक्ष नपुंसकता नपुंसकता की सामान्य धारणा से कुछ अलग है और सापेक्ष नपुंसकता की स्वीकृति उन्हें नपुंसक नहीं करार देगी।

क्या है पूरा मामला?

एक 27 वर्षीय व्यक्ति ने फरवरी 2024 में एक पारिवारिक अदालत द्वारा उसकी 26 वर्षीय पत्नी द्वारा दायर एक आवेदन को अस्वीकार करने के बाद पीठ का दरवाजा खटखटाया था जिसमें एंट्री लेवल पर ही शादी को रद्द करने की मांग की गई थी। इस जोड़े ने मार्च 2023 में शादी की लेकिन 17 दिन बाद अलग हो गए। जोड़े ने कहा कि उनकी शादी संपन्न नहीं हुई थी। महिला ने दावा किया कि पुरुष ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। शादी को रद्द करने की मांग वाली अपनी याचिका में महिला ने कहा कि पुरुष में 'रिलेटिव इंपोटेंसी' थी। उन्होंने कहा कि वे मानसिक, भावनात्मक या शारीरिक रूप से एक-दूसरे से नहीं जुड़ सकते। पुरुष ने कहा कि शादी संपन्न नहीं हुई थी लेकिन उसने इसके लिए महिला को दोषी ठहराया। उस व्यक्ति ने दावा किया कि वह अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने में असमर्थ है। अन्यथा वह सामान्य है। बयान में उन्होंने कहा कि वह यह कलंक नहीं चाहते कि वह सामान्य तौर पर नपुंसक हैं।

हालांकि, पारिवारिक अदालत ने उस आवेदन को खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि पुरुष और महिला ने मिलीभगत से दावे किए थे। हाईकोर्ट की पीठ ने पारिवारिक अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और विवाह को अमान्य घोषित करते हुए विवाह को कैंसिल कर दिया।

यह भी पढ़ें:

पीएम मोदी ने बोला हमला-बेंगलुरू को टेक सिटी से टैंकर सिटी में बदल दिया, सीएम सिद्धारमैया ने पूछा: सूखा-बाढ़ में कहां थे प्रधानमंत्री?

Share this article
click me!

Latest Videos

स्टाफ तक पहुंचा CM सुखविंदर सुक्खू का समोसा और केक, CID को मिला जांच का आदेश । Himachal Pradesh
'सपा-कांग्रेस में हो गया तलाक' खटाखट से सफाचट तक सुनिए क्या बोले Yogi Adityanath
US Election Results 2024 के बाद एलन मस्क ने कनाडा PM ट्रूडो को लेकर कर दी भविष्यवाणी । Donald Trump
'कठिन साधना से कम नहीं है छठ पूजा का पर्व' PM Modi ने बताया Chhath Puja का महत्व, देखें Video
सपा पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया सबसे बड़ा तंज, बन गया नया नारा #Shorts