
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को यह सवाल उठाया कि क्या 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर कोई रोक है। हाई कोर्ट ने पुणे ग्रामीण पुलिस को इस अवसर पर रैली निकालने की अनुमति से संबंधित याचिका पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कानून व्यवस्था का हवाला देकर किसी रैली को अनुमति नहीं देना उचित नहीं है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति एसजी दिगे की खंडपीठ ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की पुणे इकाई के अध्यक्ष फैयाज शेख की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में स्वतंत्रता सेनानी टीपू सुल्तान, मौलाना आजाद और संविधान दिवस पर रैली निकालने की अनुमति देने का आग्रह किया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि पुणे ग्रामीण पुलिस ने सार्वजनिक स्थान पर रैली की अनुमति देने से इनकार कर दिया और इसे निजी स्थान पर मनाने का सुझाव दिया। पुलिस ने तर्क दिया कि रैली से कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना है। याचिकाकर्ता को मार्ग बदलने के लिए कह सकते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि पुलिस मार्ग तय कर सकती है। अगर कोई अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल होता है या कानून और व्यवस्था की कोई समस्या होती है तो आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।
हाई कोर्ट ने पुलिस से पूछा, "क्या टीपू सुल्तान की जयंती मनाने पर कोई प्रतिबंध है?" न्यायालय ने कहा कि पुलिस मार्ग निर्धारित कर सकती है और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई कर सकती है। किसी भी अपमानजनक भाषा या समस्या की स्थिति में कार्रवाई का प्रावधान है। यह मामला अब प्रशासनिक और संवैधानिक अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने का एक उदाहरण बन गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे पुलिस को जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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