
मुंबई। तीन तलाक कानून खत्म होने के बाद से मुस्लिम महिलाओं के हक में कई सारे फैसले किए जा रहे हैं। अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कोई भी तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व पति से बिना किसी शर्त के भरण पोषण पाने की हकदार है। वह कोर्ट में भरण पोषण के लिए क्लेम कर सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि महिला ने तलाक के बाद दूसरा निकाह कर लिया है तो भी वह पहले पति से मेनटेनेंस भत्ता पाने के लिए क्लेम कर सकती है।
पूर्व पति से भत्ता पाने की हकदार तलाकशुदा मुस्लिम महिला
हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के तलाक के अधिकारों के संरक्षण अधिनियम को लेकर कोर्ट ने फैसला दिया। इस दौरान कहा कि मुस्लिम महिलाओं तलाक के बाद गरीबी से न जूझना पड़े और वह सामान्य जीवन जी सकें यह अधिनियम इस अधिकार को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है। कोर्ट ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य कहीं भी पूर्व पत्नी को उसके पुनर्विवाह के आधार पर मिलने वाली सुरक्षा को सीमित करना नहीं है।
पुनर्विवाह होने पर भी भरण पोषण का हक
विवाहित स्त्री संपत्ति अधिनियम के तहत कोई भी मुस्लिम महिला तलाक के बाद पुनर्विवाह होने पर भी भरण-पोषण पाने की हकदार है। सऊदी अरब में काम करने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने यह निर्णय दिया है। निचली अदालत में पति को एक बार ही मेनटेनेंस अलाउंस देने का आदेश दिया गया था। इसके बाद पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की थी।
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