मुंबई: डिजिटल अरेस्ट के नाम पर उतरवाए महिला के कपड़े, ठगे 1.7 लाख रुपए

Published : Dec 01, 2024, 11:25 AM ISTUpdated : Dec 01, 2024, 11:27 AM IST
woman

सार

मुंबई में एक महिला को डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 1.7 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। जालसाजों ने वीडियो कॉल पर कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया और मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने की धमकी दी।

मुंबई। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर मुंबई में 26 साल की एक महिला को वीडियो कॉल पर अपने कपड़े उतारने के लिए मजबूर किया गया। जालसाजों ने उससे 1.7 लाख रुपए ठग लिए। महिला को धमकी दी गई थी कि उसका नाम एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार पीड़ित महिला बोरीवली ईस्ट में रहती है। वह एक दवा कंपनी में काम करती है। महिला ने अपनी शिकायत में कहा है कि 19 नवंबर को जालसाजों ने उसे फोन किया और खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताया था। जालसाजों ने बताया कि जेट एयरवेज के संस्थापक-अध्यक्ष नरेश गोयल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के दौरान उसका नाम सामने आया है।

जालसाजों ने महिला बुक कराया होटल

जालसाजों ने महिला को गिरफ्तार करने की धमकी दी। इसके बाद महिला को वीडियो कॉल किया गया। बताया गया कि वह डिजिटल अरेस्ट की गई है। महिला से कहा गया कि वह एक होटल में रूम बुक करे ताकि उससे पूछताछ राजी रह सके।

महिला होटल के रूम में पहुंची तो उससे कहा गया कि अपना बैंक अकाउंट डिटेल्स वेरिफाई कराने के लिए उसे 1.78 लाख रुपए ट्रांसफर करने होंगे। वीडियो कॉल के दौरान उन्होंने महिला के कपड़े भी उतरवाए और कहा कि बॉडी वेरिफिकेशन की जरूरत है। महिला ने जालसाजों के कहे अनुसार पैसे ट्रांसफर कर दिए। उसने वीडियो कॉल पर कपड़े भी उतारे।

महिला की शिकायत पर पुलिस ने दर्ज किया केस

महिला को बाद में अहसास हुआ कि वह ठगी गई है। इसके बाद 28 नवंबर को पुलिस के पास पहुंची और शिकायत दी। भारतीय न्याय संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस जांच कर रही है।

इससे पहले जालसाजों ने नरेश गोयल के नाम का इस्तेमाल करके कपड़ा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पॉल ओसवाल से 7 करोड़ रुपए ठग लिए थे। उस मामले में भी ओसवाल को बताया गया था कि वह 'डिजिटल अरेस्ट' में हैं।

क्या है डिजिटल अरेस्ट?

डिजिटल अरेस्ट नई तरह की धोखाधड़ी है। इसमें जालसाज अपने टारगेट को बताते हैं कि वह 'डिजिटल' या 'वर्चुअल' गिरफ्तारी के तहत है। उसे वीडियो या ऑडियो कॉल के जरिए जुड़े रहना होगा। वह किसी और को नहीं बता सकता कि वह 'डिजिटल अरेस्ट' किया गया है। इस दौरान जालसाज गिरफ्तारी का डर दिखाकर पैसे मांगते हैं।

सच्चाई यह है कि किसी भी राज्य की पुलिस या केंद्रीय जांच एजेंसी किसी भी मामले में आरोपी को 'डिजिटल अरेस्ट' नहीं करती। पुलिस या कोई भी जांच एजेंसी वीडियो कॉल या ऑडियो कॉल पर पूछताछ नहीं करती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो प्रोग्राम मन की बात में डिजिटल अरेस्ट को लेकर लोगों को आगाह किया है।

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