चुनाव में हार हुई तो EVM पर उठाओ सवाल, महाराष्ट्र में उजागर हुआ विपक्ष का पाखंड

सोलापुर के मरकडवाड़ी गांव में EVM पर सवाल उठाते हुए स्थानीय लोगों ने बैलेट पेपर से 'पुनः चुनाव' कराया। NCP विधायक के समर्थकों द्वारा आयोजित यह चुनाव अधिकारियों ने रद्द कर दिया।

मुंबई। महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को भारी जीत मिली। इसके साथ ही एक बार फिर विपक्ष की इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर रोना रोने की आदत सामने आ गई। चुनावी नतीजे पक्ष में नहीं आते ही विपक्ष के लिए EVM पर सवाल खड़े करना जैसे रिवाज बन गया है। सोलापुर के मरकडवाड़ी गांव में एक अजीबोगरीब घटना हुई। यहां स्थानीय लोगों ने बैलेट पेपर का उपयोग करके अवैध "पुनः चुनाव" की योजना बनाई। यह राजनीतिक बयानबाजी से भड़की गलत हताशा का एक उदाहरण बन गया है।

यह पुनः चुनाव एनसीपी (एसपी) विधायक उत्तमराव जानकर के समर्थकों के कहने पर हुआ। इसे बाद में अधिकारियों ने रद्द कर दिया। उत्तमराव जानकर मालशिरस विधानसभा सीट पर 13,000 से अधिक मतों के अंतर से जीतने के बावजूद मार्कडवाड़ी में भाजपा के राम सतपुते से हार गए थे। ईवीएम पर संदेह से भड़के ग्रामीणों ने दोबारा मतदान की घोषणा करते हुए बैनर दिखाए। प्रशासन ने उन्हें सख्ती से रोक दिया। स्थानीय उप-विभागीय मजिस्ट्रेट ने इसे अवैध और लोकतंत्र विरोधी करार दिया।

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कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी ईवीएम

ईवीएम कांग्रेस की सरकार लेकर आई थी। आज हालत यह है कि कांग्रेस ही ईवीएम पर अपनी हार का ठीकरा फोड़ने में सबसे आगे रहती है। जयेश जैसे ग्रामीणों ने इस पाखंड पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, "ये लोग लोकतंत्र को चुनौती दे रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ईवीएम कांग्रेस लेकर आई थी।" ईवीएम पर विपक्ष द्वारा सवाल उठाना तब और हास्यास्पद हो जाता है जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को इन्हीं मशीनों का इस्तेमाल करके लोकसभा चुनाव में जीत मिली थी। उस वक्त किसी को ईवीएम में गलती नहीं दिखी थी।

मार्कडवाडी में क्या हुआ?

मतदाता सबसे बेहतर जानते हैं मार्कडवाडी में जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। भाजपा के राम सतपुते ने समग्र सीट हारने के बावजूद अपने विकास कार्यों के कारण गांव में काफी लोकप्रियता हासिल की है। इसी गांव में रहने वाले कौशल ने कहा, "राम सतपुते ने अथक परिश्रम किया है। उन्हें 150 वोटों की बढ़त मिली। महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई लड़की बहन योजना ने भी मतदाताओं की भावनाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" इसी गांव के ओंकार ने कहा, "भले ही हम बैलेट पेपर पर वापस आ जाएं, लेकिन इसमें भी गलतियां संभव हैं। लड़की बहन योजना के प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।"

ग्रामीण मिथुन ने कहा, "ईवीएम को लेकर अगर कोई मुद्दा था तो इसे लोकसभा चुनाव के दौरान क्यों नहीं उठाया गया? यह विरोध संविधान विरोधी है। देवेंद्र फडणवीस, शिंदे और अजीत के शासन ने भ्रष्टाचार मुक्त पहल और महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रशंसा पाई है। मतदाता अपनी ताकत जानते हैं। लोगों ने सातपुते को उनके काम के आधार पर चुना है।" ग्रामीण आलोक ने कहा, "लोकसभा चुनावों के दौरान ये आपत्तियां सामने क्यों नहीं आईं? जब नतीजे उनके पक्ष में आते हैं तो यह स्वीकार्य है। जब ऐसा नहीं होता तो शिकायत करते हैं।"

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