Published : Mar 09, 2023, 09:52 AM ISTUpdated : Mar 09, 2023, 09:55 AM IST
IIT बॉम्बे के 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी की सुसाइड मामले में न्याय की मांग को लेकर हंगामा बढ़ता जा रहा है। इस केस की जांच के लिए गठित पैनल रिपोर्ट पर भी सवाल उठने लगे हैं। दर्शन ने 12 फरवरी को सुसाइड कर लिया था।
मुंबई. IIT बॉम्बे के 18 वर्षीय छात्र दर्शन सोलंकी की सुसाइड मामले में न्याय की मांग को लेकर हंगामा बढ़ता जा रहा है। इस केस की जांच के लिए गठित पैनल रिपोर्ट पर भी सवाल उठने लगे हैं। अहमदाबाद के रहने वाले केमिकल इंजीनियरिंग के छात्र दर्शन सोलंकी ने सेमेस्टर एग्जाम समाप्त होने के एक दिन बाद 12 फरवरी को सुसाइड कर लिया था। उसने कथित तौर पर आईआईटी कैम्पस में अपने हॉस्टल ब्लॉक की सातवीं मंजिल से छलांग लगा दी। उनके परिवार ने बाद में आरोप लगाया कि परिसर में सोलंकी को उसकी दलित जाति के कारण टॉर्चर किया जाता था।
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2 मार्च को सौंपी गई एक अंतरिम रिपोर्ट में IIT-बॉम्बे द्वारा गठित 12-सदस्यीय समिति ने मौत की परिस्थितियों की जांच पर कहा कि इसमें सीधे तौर पर जाति-आधारित भेदभाव का कोई विशिष्ट सबूत नहीं मिला है।
जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आत्महत्या की एक संभावित वजह 'ख़राब अकादमिक परफ़ॉर्मेंस' हो सकती है। यानी इसमें जातिगत भेदभाव जैसा कुछ नहीं दिखा। हालांकि दर्शन के पिता रमेश भाई सोलंकी भी इस रिपोर्ट को खारिज कर चुके हैं।
इस जांच पैनल ने कैंपस में 79 लोगों से पूछताछ की थी। इनमें 11 विंग-मेट्स, सात टीचिंग स्टाफ़, 9 टीचर्स, दो मेंटोर, 11 पारिवारिक दोस्त, 13 सुरक्षाकर्मी भी शामिल रहे।