मराठा आरक्षण पर शिंदे सरकार में बगावत, छगन भुजबल ने दिया इस्तीफा, बोले-ओबीसी कोटा से मराठों को आरक्षण देना गलत

भुजबल ने कहा कि ओबीसी कोटे की बजाय मराठों को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए। छगन भुजबल, एनसीसी अजीत पवार गुट के नेता हैं।

Dheerendra Gopal | Published : Feb 4, 2024 11:02 AM IST / Updated: Feb 04 2024, 04:46 PM IST

Chhagan Bhujbal resigned: महाराष्ट में मराठा आरक्षण को लेकर शिंदे सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। मराठा कोटा को ओबीसी कोटे से दिए जाने के विरोध में सरकार के सीनियर मिनिस्टर छगन भुजबल ने इस्तीफा दे दिया है। छगन भुजबल ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह मराठों को बैकडोर से सुविधा दे रही है। ओबीसी का हक मारा जा रहा है। भुजबल ने कहा कि ओबीसी कोटे की बजाय मराठों को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए। छगन भुजबल, एनसीसी अजीत पवार गुट के नेता हैं। वह ओबीसी कोटा में बंटवारा के खिलाफ हैं।

भुजबल बोले-मैंने कई महीना पहले ही दिया इस्तीफा

ओबीसी कोटा में बंटवारा कर मराठा आरक्षण दिए जाने की खिलाफत करने वाले महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि वह मराठों को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन ओबीसी कोटा में बंटवारा कर किसी को आरक्षण देने के खिलाफ हैं। मराठों को सरकार अलग से आरक्षण दे। उन्होंने कहा कि 17 नवम्बर को अंबाद में आयोजित ओबीसी एल्गर रैली में जाने से पहले मैंने 16 नवम्बर को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उस कार्यक्रम में गया था। उन्होंने कहा कि वह ओबीसी के हक के लिए लड़ेंगे। महाराष्ट्र सरकार के निवर्तमान मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि राज्य की आबादी में ओबीसी 54-60 प्रतिशत है तो एससी-एसटी की आबादी 20 प्रतिशत है। ब्राह्मण यहां 3 प्रतिशत है। लेकिन फिर भी सभी विधायक और सांसद मराठा वोट खोने से डरते हैं। उन्होंने कहा कि ओबीसी विधायक रैलियों में भाग लेना तो दूर फंडिंग में भी मदद नहीं करते हैं।

शिंदे सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती

राज्य में एकनाथ शिंदे सरकार के अजीत पवार गुट के नेता छगन भुजबल के इस्तीफा के बाद मराठा-ओबीसी आरक्षण को लेकर तकरार बढ़ सकती है। छगन भुजबल, राज्य के कद्दावर ओबीसी नेता हैं। उनके इस्तीफा के बाद मराठा और ओबीसी नेताओं के बीच जुबानी जंग तेजी होगी। इससे राज्य में शिवसेना-बीजेपी सरकार की परेशानी भी बढ़ सकती है। राज्य में मराठा नेता मनोज जरांगे आरक्षण को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा कर चुके हैं। ऐसे में अगर ओबीसी समाज को छगन भुजबल मुखर करते हैं तो दोनों के बीच टकराहट तेज होगी जिसका नुकसान बीजेपी गठबंधन को उठाना पड़ सकता है।

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