
करीब तीन साल के लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर चुनावी मोड में आ गई है। राज्य के शहरी और ग्रामीण सत्ता केंद्रों पर काबिज होने की जंग अब तय तारीख पर लड़ी जाएगी। 15 जनवरी को महाराष्ट्र में नगर निकाय चुनाव होंगे, जो न सिर्फ स्थानीय सरकारें तय करेंगे, बल्कि राज्य की सियासी दिशा भी तय करने वाले माने जा रहे हैं।
राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक, 15 जनवरी को महाराष्ट्र के 29 नगर निगमों, 32 जिला परिषदों और 336 पंचायत समितियों के लिए मतदान कराया जाएगा। इन सभी चुनावों के नतीजे 16 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
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राजनीतिक नजरिए से बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC), पुणे और ठाणे जैसे बड़े शहरों के चुनाव सबसे अहम माने जा रहे हैं। खासतौर पर बीएमसी चुनाव को महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है।
बीएमसी न सिर्फ देश का सबसे बड़ा नगर निगम है, बल्कि एशिया का सबसे अमीर नगर निगम भी माना जाता है। इसका बजट कई छोटे राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है। पहले यह अविभाजित शिवसेना के नियंत्रण में था, लेकिन इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।
इस बार भारतीय जनता पार्टी की रणनीति बीएमसी में शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) को पीछे छोड़कर सत्ता हासिल करने की है। मेयर पद को लेकर पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि मेयर महायुति गठबंधन से ही होगा।
विपक्षी महाविकास आघाड़ी भी इन चुनावों को लेकर आक्रामक मोड में है। खासतौर पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के लिए यह चुनाव काफी अहम माने जा रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन के बाद इन निकाय चुनावों से उनका राजनीतिक भविष्य भी जुड़ा माना जा रहा है।
नगर निकाय चुनावों ने ठाकरे बंधुओं उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को दशकों बाद एक मंच पर लाने की संभावनाओं को भी हवा दी है। हालांकि, दोनों के एक साथ चुनाव लड़ने को लेकर अब तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है।
मुंबई, पुणे और ठाणे समेत कई नगर निगमों का कार्यकाल 2022 में ही खत्म हो गया था। ओबीसी आरक्षण और वार्ड परिसीमन से जुड़े कानूनी व प्रशासनिक विवादों के चलते चुनाव टलते रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी लंबित नगर निकाय चुनाव 31 जनवरी तक पूरे कराने की समयसीमा तय की थी। इसके बाद ही राज्य में चुनावी प्रक्रिया को गति मिली।
राज्य की 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए 2 दिसंबर को मतदान कराया गया था, जिनके नतीजे 21 दिसंबर को घोषित होंगे। वहीं, 24 नगर परिषदों और नगर पंचायतों में चुनाव टालकर 20 दिसंबर को मतदान कराया जाएगा, जिनके नतीजे भी 21 दिसंबर को ही आएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये नगर निकाय चुनाव न सिर्फ स्थानीय सरकारें तय करेंगे, बल्कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए जनता का मूड भी साफ तौर पर दिखा देंगे।
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