
Maharashtra Assembly Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में खराब प्रदर्शन के बाद अजित पवार के गुट का महायुति गठबंधन में प्रभाव कम हो गया है। अजित पवार के गुट ने जिन चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से केवल एक सीट ही जीत पाई, जबकि शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने 8 सीटें जीती थीं। खराब प्रदर्शन के कारण महायुति गठबंधन में उनके गुट का प्रेशर घटा है।
शरद पवार के पोते और उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता रोहित पवार ने भविष्य में अजित पवार की घर वापसी के संकेत दिए हैं। टाइम्स नाउ से बातचीत में रोहित पवार ने कहा कि अगर उनके चाचा अजित पवार पार्टी में वापस आना चाहते हैं, तो पार्टी उनके लिए अपने दरवाजे खोल सकती है।
रोहित ने कहा, "ये चुनाव हम अलग-अलग लड़ रहे हैं, लेकिन भविष्य में क्या होगा, यह नहीं बता सकते। अगर अजित दादा भाजपा के बिना हमारे पास वापस आते हैं, तो परिवार उन्हें वापस ले सकता है।" करजत-जामखेड़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रोहित को हाल ही में पार्टी प्रमुख और वरिष्ठ नेता शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति के भविष्य के बारे में बताया था।
राेहित पवार ने भाजपा पर निशाना साधते हुए दावा किया कि राष्ट्रीय पार्टी शिंदे सेना और अजीत पवार की NCP जैसे स्थानीय सहयोगियों को खत्म करने का लक्ष्य बना रही है। "अमित शाह ने हाल ही में उल्लेख किया कि वे 2029 में अकेले कैसे चुनाव लड़ेंगे। यह CM शिंदे और अजीत दादा के लिए एक स्पष्ट संकेत है। भाजपा अपने स्थानीय सहयोगियों को खत्म करना चाहती है, जैसा कि उन्होंने हरियाणा में किया था। मुझे यह भी लगता है कि इन चुनावों में भाजपा सहयोगियों की संख्या कम करने के लिए शिंदे सेना और अजीत पवार की पार्टी के खिलाफ स्वतंत्र उम्मीदवार उतारेगी।
रोहित ने यह भी कहा कि वह 28 अक्टूबर को करजत-जामखेड़ निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन दाखिल करेंगे। उनके संभावित प्रतिद्वंद्वी महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और भाजपा नेता राम शिंदे होंगे। जुलाई 2023 में अजित पवार ने खुद को अलग-थलग महसूस करते हुए तत्कालीन संयुक्त राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से कई अन्य पार्टी नेताओं के साथ बाहर निकलकर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-शिवसेना गठबंधन सरकार में शामिल हो गए।
'स्वाभाविक हिंदुत्व सहयोगी' भाजपा और शिवसेना के साथ गठबंधन करने के कदम को एक रणनीतिक जुआ के रूप में देखा गया था। लेकिन उनके इस जुए से अपेक्षित रिजल्ट नहीं मिले। लोकसभा चुनाव में अजित पवार का गुट 4 सीटों में से केवल एक सीट ही जीत पाया, जबकि शरद पवार की NCP ने 8 सीटें जीती थीं। खराब प्रदर्शन ने महायुति गठबंधन के भीतर उनके गुट के प्रभाव को कम कर दिया है।
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