अब से वीर सावरकर के नाम से जाना जाएगा मुंबई का बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक, CM एकनाथ शिंदे ने मई में किया था ऐलान

मुंबई के बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर कर दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले महीने इसका ऐलान किया था। इसके साथ ही मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम भी बदल दिया गया है।

Amitabh Budholiya | Published : Jun 28, 2023 8:55 AM IST / Updated: Jun 28 2023, 02:26 PM IST

मुंबई. मुंबई के बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम पर कर दिया गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले महीने इसका ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि मुंबई में आगामी बांद्रा-वर्सोवा समुद्री लिंक का नाम हिंदुत्व विचारक दिवंगत वीडी सावरकर के नाम पर रखा जाएगा। इसके साथ ही मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक का नाम भी बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति न्हावा शेवा अटल सेतु(Atal Bihari Vajpayee Smruti Nhava Sheva Atal Setu) कर दिया गया है।

मुंबई के बांद्रा-वर्सोवा सी लिंक का नाम हिंदुत्व विचारक वीर सावरकर के नाम

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एकनाथ शिंदे ने पिछले महीने उल्लेख किया था कि केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले वीरता पुरस्कार के समान एक राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार का नाम भी स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा जाएगा।

28 मई को सावरकर की जयंती के अवसर पर बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा था कि आगामी बांद्रा-वर्सोवा सीलिंक का नाम स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम पर रखा जाएगा। केंद्र सरकार के वीरता पुरस्कारों की तर्ज पर, महाराष्ट्र सरकार भी स्वातंत्र्यवीर सावरकर वीरता पुरस्कार स्थापित करेगी।

औरंगाबाद और उस्मानाबाद की नाम बदला चुका है

इससे पहले फरवरी में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदला चुका है। औरंगाबाद को अब छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशिव कहा जाने लगा है। वीर सावरकर को लेकर कांग्रेस हमेशा विवाद छेड़ती रही है। नए संसद भवन का उद्घाटन भी 28 मई, 2023 को वीर सावरकर के जन्मदिन पर हुआ था। वहीं, पुराने संसद भवन 2003 में वीर सावरकर का तैल चित्र लगाने को लेकर भी विवाद हुआ था।

कौन थे वीर सावरकर?

वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1833 को महाराष्ट्र के नासिक में भगूर गांव में हुआ था। वे प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वीर सावरकर ने ही राष्ट्रध्वज तिरंगे के बीज धर्म चक्र लगाने का सुझाव सबसे पहले दिया था, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस सुझाव को माना भी था। वीर सावरकर ने ही सबसे पहले पूर्ण स्वराज्य का नारा बुलंद किया था। वीर सावरकर पहले ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने विदेशी कपड़ों की होली जलाई।

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