महाराष्ट्र में आरक्षण पर छिड़ी रार, सांसत में शिंदे सरकार, फडणवीस ने इस्तीफा को लेकर कही बड़ी बात

राज्य सरकार मराठा आंदोलन को देखते हुए ओबीसी कोटे में ही मराठा लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया है। इस पर ओबीसी राजनीति करने वाले राजनेताओं में खलबली मची हुई है।

Dheerendra Gopal | Published : Feb 4, 2024 3:53 PM IST

Maratha Reservation row: मराठा आरक्षण को ओबीसी कोटे से दिए जाने के खिलाफ महाराष्ट्र की ओबीसी राजनीति गरमायी हुई है। छगन भुजबल के शिंदे सरकार से इस्तीफा के दावे के बीच उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना यूबीटी ने बड़ा खुलासा किया है। डिप्टी सीएम व बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि भुजबल के इस्तीफा को लेकर मुख्यमंत्री शिंदे बेहतर ढंग से बता सकते हैं। उधर, शिवसेना यूबीटी प्रवक्ता संजय राउत ने इस्तीफा को प्रोपगेंडा बताते हुए इसे भुजबल और बीजेपी के बीच मिलीभगत करार दिया। हालांकि, भुगबल के बयान के बाद राज्य में ओबीसी वर्सेस मराठा राजनीति गरमाती नजर आ रही है।

क्या है पूरा मामला?

राज्य सरकार मराठा आंदोलन को देखते हुए ओबीसी कोटे में ही मराठा लोगों को आरक्षण देने का फैसला किया है। इस पर ओबीसी राजनीति करने वाले राजनेताओं में खलबली मची हुई है। ओबीसी नेता व महाराष्ट्र सरकार के सीनियर मिनिस्टर छगन भुजबल ने शनिवार को एक सार्वजनिक रैली में यह कहकर शिंदे सरकार को सकते में डाल दिया कि वह 16 नवम्बर को मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके हैं। भुजबल ने दावा किया कि वह मराठाओं को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने के खिलाफ हैं। सरकार को अगर आरक्षण देना है तो अलग प्रावधान करे।

डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कही यह बात

उधर, छगन भुजबल के इस्तीफा की सार्वजनिक घोषणा के बाद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। फड़नवीस ने संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे स्पष्टीकरण देने में सक्षम होंगे।

संजय राउत ने बकवास करार दिया

छगन भुजबल के इस्तीफा परशिव सेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने बकवास करार दिया। उन्होंने कहा कि जब भुजबल ने इस्तीफा दे दिया था तो मंत्रिपरिषद की मीटिंग्स में कैसे और क्यों भाग लेते रहे। उन्होंने कहा कि मनोज जारंगे के नेतृत्व वाले मराठा आरक्षण आंदोीलन को संभालने के लिए भुजबल और देवेंद्र फडणवीस प्रोपगेंडा कर रहे हैं। दोनों एक दूसरे से मिले हुए हैं। दोनों में यह समझौता है कि एक इस्तीफा देने की बात कहेगा और दूसरा उसे अस्वीकार किए जाने की बात कहेगा। राउत ने कहा कि हमारा विचार है कि सभी समुदायों को उनके अधिकार मिलने चाहिए लेकिन दूसरों के अधिकारों पर अतिक्रमण की कीमत पर नहीं। उन्होंने कहा कि भुजबल भी यही कह रहे हैं।

छगन भुजबल, एनसीसी पवार गुट के नेता हैं। एनसीपी में टूट के बाद अजीत पवार गुट ने महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देकर मंत्रिमंडल में शामिल होने का फैसला किया था। शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट, बीजेपी और एनसीपी अजीत पवार गुट मिलकर इस समय सरकार चला रहे हैं।

मराठा नेता मनोज जारांगे बोले-भुजबल पहुंचा रहे नुकसान

भुजबल के कट्टर विरोधी और मराठा चेहरा मनोज जारांगे ने रविवार को कहा कि ओबीसी नेता मराठा आरक्षण के बारे में अपने बयानों से डिप्टी सीएम फड़नवीस (भाजपा) और अजीत पवार (एनसीपी) को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भुजबल का व्यवसाय बन गया है कि वे जिस भी पार्टी में शामिल होते हैं उसे नुकसान पहुंचाएं। जारंगे ने कहा कि अगर वह (भुजबल) इस्तीफा देना चाहते हैं, तो उन्हें ऐसा करना चाहिए, लेकिन मराठा आरक्षण के खिलाफ बात नहीं करनी चाहिए।

दरअसल, जारांगे की मांग पर राज्य सरकार ने मराठाओं की मांग को स्वीकार कर लिया है। सरकार ने आरक्षण संबंधी एक मसौदा अधिसूचना जारी किया है। इसके अनुसार कुनबी (ओबीसी उपजाति) रिकॉर्ड वाले मराठों के रक्त संबंधियों को कुनबी प्रमाण पत्र दिया जाएगा।

यह भी पढ़ें:

कड़ाके की ठंड में लद्दाख में आंदोलन से गर्म हुआ माहौल, हजारों की संख्या में लोग पूर्ण राज्य की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे

Share this article
click me!