महाराष्ट्र में बुजुर्ग नागरिकों के लिए घर पर मतदान की सुविधा में पंजीकरण की समय-सीमा और जागरूकता की कमी से आई चुनौतियां। जानें, कैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है।
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की नई पहल के तहत बुजुर्ग नागरिक अब घर पर रहकर भी मतदान कर सकते हैं, लेकिन इस सुविधा के लिए रजिस्ट्रेशन में मिली छोटी समय-सीमा के चलते कई वरिष्ठ नागरिकों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। बुजुर्ग नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान करने का यह एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन जागरूकता की कमी और रजिस्ट्रेशन की कम समय-सीमा ने कई लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाने से वंचित कर दिया।
जिमी डोरडी (85), जो कम चल फिर पाने की वजह से घर पर ही रहते हैं, इस सुविधा से लाभान्वित होने की उम्मीद कर रहे थे। उन्हें घर पर मतदान का अधिकार मिलने पर बहुत प्रसन्नता हुई, लेकिन जब तक उन्हें इसके बारे में पता चला, तब तक रजिस्ट्रेशन की पांच दिन की टाइम-लिमिट समाप्त हो चुकी थी। डोरडी का कहना हैं, "यह घोषणा इतनी अचानक थी कि मुझे तैयारी का समय ही नहीं मिला और मैं रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस से चूक गया।"
उनकी तरह अन्य बुजुर्ग नागरिकों ने भी रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस की कठिनाइयों को शेयर किया है। पश्चिम मुंबई निवासी यशवंत बागवे (88) ने कहा, "पांच दिन की टाइम-लिमिट हमारे लिए पर्याप्त नहीं थी।" बागवे, जो अकेले रहते हैं और चलने-फिरने में कठिनाई का सामना करते हैं, ने बताया कि बुजुर्गों के लिए यह पंजीकरण प्रक्रिया बेहद कठिन हो गई।
महाराष्ट्र में 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के करीब 13.15 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं। राज्य सरकार ने इस पहल के जरिये राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि महाराष्ट्र में आगामी चुनावों में मतदान प्रतिशत 70 प्रतिशत से अधिक होगा।
आज केयर सेवक फाउंडेशन के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश बोरगांवकर ने बताया कि इस योजना की सफलता में सबसे बड़ी चुनौती जागरूकता की कमी थी। बोरगांवकर का कहना है, "कई बुजुर्ग नागरिकों को इस सुविधा की जानकारी नहीं थी और जिन्हें थी भी, वे भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में अड़चनों का सामना कर रहे थे, जिससे वो लोग घर से वोटिंग के अधिकार से चूक गए।"
यह पहल बुजुर्गों को मतदान में शामिल करने के लिए एक अच्छी सोच है, लेकिन बोरगांवकर जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए और अधिक तैयारी और जागरूकता की आवश्यकता होगी। टाइम लिमिट को भी बढ़ाने की जरूरत है।
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