महाराष्ट्र के लाखों बुजुर्गों को नहीं मिल पाया घर से मतदान का मौका, जानें क्याें

महाराष्ट्र में बुजुर्ग नागरिकों के लिए घर पर मतदान की सुविधा में पंजीकरण की समय-सीमा और जागरूकता की कमी से आई चुनौतियां। जानें, कैसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए मतदान प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है।

Surya Prakash Tripathi | Published : Nov 1, 2024 4:57 AM IST / Updated: Nov 01 2024, 02:55 PM IST

मुंबई। महाराष्ट्र सरकार की नई पहल के तहत बुजुर्ग नागरिक अब घर पर रहकर भी मतदान कर सकते हैं, लेकिन इस सुविधा के लिए रजिस्ट्रेशन में मिली छोटी समय-सीमा के चलते कई वरिष्ठ नागरिकों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। बुजुर्ग नागरिकों को मतदान का अधिकार प्रदान करने का यह एक महत्वपूर्ण कदम था, लेकिन जागरूकता की कमी और रजिस्ट्रेशन की कम समय-सीमा ने कई लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाने से वंचित कर दिया।

टाइम लिमिट खत्म होने से रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस से चूक गए जिमी डोरडी

जिमी डोरडी (85), जो कम चल फिर पाने की वजह से घर पर ही रहते हैं, इस सुविधा से लाभान्वित होने की उम्मीद कर रहे थे। उन्हें घर पर मतदान का अधिकार मिलने पर बहुत प्रसन्नता हुई, लेकिन जब तक उन्हें इसके बारे में पता चला, तब तक रजिस्ट्रेशन की पांच दिन की टाइम-लिमिट समाप्त हो चुकी थी। डोरडी का कहना हैं, "यह घोषणा इतनी अचानक थी कि मुझे तैयारी का समय ही नहीं मिला और मैं रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस से चूक गया।"

Latest Videos

घर से वोटिंग के अधिकार के लिए रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस कठिन होने से हुई दिक्कत

उनकी तरह अन्य बुजुर्ग नागरिकों ने भी रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस की कठिनाइयों को शेयर किया है। पश्चिम मुंबई निवासी यशवंत बागवे (88) ने कहा, "पांच दिन की टाइम-लिमिट हमारे लिए पर्याप्त नहीं थी।" बागवे, जो अकेले रहते हैं और चलने-फिरने में कठिनाई का सामना करते हैं, ने बताया कि बुजुर्गों के लिए यह पंजीकरण प्रक्रिया बेहद कठिन हो गई।

महाराष्ट्र में 85 वर्ष से अधिक उम्र के हैं कितने मतदाता?

महाराष्ट्र में 85 वर्ष या उससे अधिक आयु के करीब 13.15 लाख रजिस्टर्ड वोटर हैं। राज्य सरकार ने इस पहल के जरिये राज्य में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और बुजुर्ग मतदाताओं को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखा है। अधिकारियों को उम्मीद है कि महाराष्ट्र में आगामी चुनावों में मतदान प्रतिशत 70 प्रतिशत से अधिक होगा।

रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस को सरल बनाने और जनजागरुकता पर दिया जोर

आज केयर सेवक फाउंडेशन के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश बोरगांवकर ने बताया कि इस योजना की सफलता में सबसे बड़ी चुनौती जागरूकता की कमी थी। बोरगांवकर का कहना है, "कई बुजुर्ग नागरिकों को इस सुविधा की जानकारी नहीं थी और जिन्हें थी भी, वे भी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में अड़चनों का सामना कर रहे थे, जिससे वो लोग घर से वोटिंग के अधिकार से चूक गए।"

घर से मतदान के अधिकार के लिए टाइम लिमिट बढ़ाने की जरूरत

यह पहल बुजुर्गों को मतदान में शामिल करने के लिए एक अच्छी सोच है, लेकिन बोरगांवकर जैसे विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए और अधिक तैयारी और जागरूकता की आवश्यकता होगी। टाइम लिमिट को भी बढ़ाने की जरूरत है।

 

ये भी पढ़ें…

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: मुंबई के 15 समेत 28 डिप्टी SP-ACP अफसरों का ट्रांसफर

कौन ठाकरे परिवार का ये वारिस? जिसका देवेंद्र फडणवीस ने किया समर्थन

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

Bhai Dooj 2024 Tilak: भाई को तिलक करते समय दूज पर इन चीजों का रखें ध्यान
दिवाली की रात करें राशि अनुसार मंत्रों का जाप, दूर होगा दुर्भाग्य । Diwali 2024
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने जवानों के साथ मनाई दिवाली, देखें- Photos
Google के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा जुर्माना, जीरो गिनते गिनते थक जाएंगे आप
'जैसे को तैसा जवाब देना पड़ेगा' CM Yogi Adityanath ने क्यों बजरंगबली को किया याद