
पुणे। महाराष्ट्र में जहां कई विधायक सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं, वहीं कुछ नेता लगातार अपनी लोकप्रियता को बरकरार रखते हुए वर्षों से जीत का सिलसिला बनाए हुए हैं। इनमें ऐसे 12 विधायक शामिल हैं, जिन्होंने लगातार पांच या उससे भी अधिक बार अपनी सीट जीती है, जबकि 3 विधायक एक ही निर्वाचन क्षेत्र से 7 बार अपराजित रहे हैं। इनमें से 11 विधायक इस बार भी फिर से चुनावी मैदान में हैं और एक बार फिर अपनी पकड़ को मजबूत बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्य के सबसे लंबे समय तक विधायक रहे दिवंगत पीडब्ल्यूपीआई नेता गणपतराव देशमुख, जो संगोला से 11 बार चुने गए, महाराष्ट्र की राजनीति में एक मिसाल रहे। उनके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बालासाहेब थोराट का नाम आता है, जिन्होंने 1985 से लगातार आठ बार संगमनेर सीट जीती है और अब नौवीं बार चुनाव लड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
अन्य दिग्गज विधायकों में भाजपा के विजय कुमार गावित (नंदुरबार), कांग्रेस के रंजीत कांबले (देवली), और इस्लामपुर से एनसीपी के जयंत पाटिल शामिल हैं, जो 1990 से लगातार जीतते आ रहे हैं। भाजपा के गिरिश महाजन ने भी जमनेर से 7 बार जीत हासिल की है। दिलीप वाल्से पाटिल ने अंबेगांव से 7 बार चुनाव जीतकर अपनी मजबूती साबित की है, जबकि अजित पवार ने बारामती से हर चुनाव में जीत दर्ज की है। उन्होंने भी 1991 में पहली बार बारामती से जीत दर्ज की थी और तब से अब तक उन्होंने अपनी जीत की रफ्तार को बनाए रखा है। 7 बार जीतने के बाद 8वीं बार वह फिर से मैदान में है।
कुछ अन्य विधायक जैसे दिलीप वलसे पाटिल (अंबेगांव) और मंगल प्रभात लोढ़ा (मालाबार हिल) भी लंबे समय से अपराजित रहते हुए जनता का विश्वास जीतते आ रहे हैं। माधा निर्वाचन क्षेत्र से छह बार जीतने वाले पूर्व विधायक बबनराव शिंदे इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, परंतु उनके बेटे रंजीत शिंदे इस बार निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं।
महाराष्ट्र में ऐसे 5 विधायक भी हैं, जो 1995 से लगातार चुनाव जीत रहे हैं, जबकि तीन विधायक 1990 से लगातार अपनी जीत बनाए हुए हैं। जब उनसे पूछा गया कि वह सत्ता विरोधी लहर को कैसे हराते हैं, तो बालासाहेब थोराट ने कहा, "सबसे महत्वपूर्ण बात एक स्पष्ट दृष्टिकोण होना है, और इसके लिए ईमानदारी से कड़ी मेहनत करनी चाहिए।"
बालासाहेब थोराट का कहना है कि "जनता का विश्वास और एक स्पष्ट दृष्टिकोण होना ही सबसे महत्वपूर्ण बात है, जिसे बनाए रखने के लिए ईमानदारी और कड़ी मेहनत आवश्यक है।" महाराष्ट्र के इन वरिष्ठ नेताओं की अनवरत जीत न केवल उनकी मेहनत को दर्शाती है, बल्कि जनता के साथ उनके जुड़ाव और सेवा भावना को भी प्रमाणित करती है।
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