महाराष्ट्र चुनाव 2024: पहली बार नादेड़ के इस सुदूर गांव में 190 लोग करेंगे मतदान

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के किनवट तालुका का वाघदारी गांव, 77 वर्षों के बाद पहली बार अपना मतदान केंद्र प्राप्त कर ग्रामीणों को वोटिंग का अधिकार मिला। यह उनके लंबे समय से लंबित सरकारी मान्यता और भूमि अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

नांदेड़। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के किनवट तालुका के वाघदारी गांव, जिसकी आबादी लगभग 300 है, के लिए यह एक महत्वपूर्ण खबर है। देश में आजादी के 77 सालों बाद जब इस गांव का नाम भू-राजस्व मानचित्र पर भी नहीं है, वाघदारी के निवासियों को आखिरकार अपना पहला मतदान केंद्र मिल गया है। आगामी 20 नवंबर को विधानसभा चुनावों के दौरान यहां के लोग पहली बार अपने गांव में ही वोट दे सकेंगे।

नजदीकी पोलिंग बूथ तक पहुंचने में लगते थे 2 घंटे

अब तक ग्रामीणों को सबसे निकटतम मतदान केंद्र जलधारा पहुंचने के लिए दो घंटे का कठिन सफर तय करना पड़ता था। अक्सर उन्हें मौसम और जंगली जानवरों का सामना करना पड़ता था। किनवट निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत वाघदारी को मतदान केंद्र देने का निर्णय चुनाव आयोग ने कठिन भूगोल और इलाके की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए लिया है।

Latest Videos

190 मतदाता पहली बार अपने गांव में करेंगे वोटिंग

गांव के 190 मतदाताओं को अब चुनाव के दौरान अपने गांव में ही सुविधा मिलेगी, जिससे उन्हें सरकार की मान्यता मिलने और भूमि अधिकार प्राप्त करने की उम्मीदें भी जगी हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से वे इस क्षेत्र को अपना घर मानते आए हैं, लेकिन उनके पास जमीन के स्वामित्व के कोई दस्तावेज़ नहीं हैं, न ही पानी, सड़क या अन्य सुविधाएं। गांव के निवासी दत्ता भवाले कहते हैं, "हम पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं, लेकिन सरकारी मान्यता का अभाव है। यहां तक कि हमारी ग्राम पंचायत 35 किलोमीटर दूर स्थित है।"

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे यहां के बासिंदे

गांव में सुविधाओं का अभाव है और स्थानीय लोग तेलंगाना-महाराष्ट्र सीमा पर बसे होने के कारण खुद को अक्सर उपेक्षित महसूस करते हैं। एसडीओ कावली मेघना ने बताया कि क्षेत्र की ऐतिहासिक सीमाओं को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष गांव में भूमि की माप कराई गई और पुणे में राजस्व अधिकारियों को प्रस्ताव भेजा गया है। आगामी कुछ महीनों में ग्रामीणों को भूमि स्वामित्व प्रमाण मिलने की उम्मीद है।

हाई एजूकेशन से वंचित रह जाती हैं इस गांव की लड़कियां

यहां की महिलाओं और बच्चों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। लड़कियां सुरक्षित और लंबी दूरी तय करने में असमर्थता के कारण पढ़ाई छोड़ देती हैं। माया काले, जिन्होंने ग्यारहवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी, कहती हैं, "स्कूल की दूरी और जंगली जानवरों का डर मेरे माता-पिता को चिंता में डालता था, इसलिए मेरी पढ़ाई छुड़ाकर शादी करवा दी गई।"

प्रशासन और ग्रामीणों का एक मात्र माध्यम हैं शिक्षक सिद्धेश्वर

गांव के शिक्षक सिद्धेश्वर विश्वनाथ गांव और प्रशासन के बीच संपर्क का माध्यम बने हुए हैं। वह दूर इस्लामपुर से अपने दोपहिया वाहन के जरिए गांव पहुंचते हैं और कठिन रास्तों से पैदल चलते हुए बच्चों तक शिक्षा पहुंचाते हैं। सरकार की ओर से मिले इस पहले मतदान केंद्र ने ग्रामीणों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। वे उम्मीद कर रहे हैं कि चुनाव में उनकी आवाज सुनी जाएगी और सरकार उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को जल्द पूरा करेगी।

 

ये भी पढ़ें…

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: चाचा-भतीजे से लेकर पति-पत्नी तक आमने-सामने

MVA का 'महाराष्ट्रनामा': जानें जनता के लिए क्या हैं 5 बड़े वादे?

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

महाराष्ट्र चुनाव रिजल्ट पर फूटा संजय राउत का गुस्सा, मोदी-अडानी सब को सुना डाला- 10 बड़ी बातें
200 के पार BJP! महाराष्ट्र चुनाव 2024 में NDA की प्रचंड जीत के ये हैं 10 कारण । Maharashtra Result
LIVE 🔴 Maharashtra, Jharkhand Election Results | Malayalam News Live
एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस... कौन होगा महाराष्ट्र का अगला सीएम? डिप्टी सीएम ने साफ कर दी तस्वीर
LIVE: जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग