मुंबई। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राज्य में किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए बड़ी पहल की है। मराठवाड़ा वाटर ग्रिड से राज्य की जल सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा। इससे पानी बिना किसानों की फसल खराब नहीं होगी।
महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र अनियमित बारिश, अपर्याप्त बुनियादी ढांचे और असमान जल वितरण के कारण गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। इसके चलते किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है।
पानी की कमी से किसानों करते हैं आत्महत्या
मराठवाड़ा में पानी की कमी के चलते कृषि पर निर्भर ग्रामीण समुदायों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। फसलें खराब होने और कर्ज बढ़ने के चलते कई बार किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल किसान आत्महत्याओं में से 38 प्रतिशत महाराष्ट्र में होती हैं। 1995 से 2013 तक 60,750 किसानों ने आत्महत्या की। 2004 से 2013 के बीच सालाना औसतन लगभग 3,700 आत्महत्याएं हुईं। इसकी बड़ी वजह पानी की कमी, फसल खराब होना और इसके चलते पैदा होने वाली आर्थिक चुनौतियों हैं।
मराठवाड़ा में बारिश का पैटर्न नियमित नहीं है। इसके चलते पानी की उपलब्धता कम हो गई है। इस क्षेत्र में ज्यादातर बारिश मानसून के मौसम में होती है। 2023 में मराठवाड़ा में केवल 589.9 मिमी बारिश हुई। यह इसके वार्षिक औसत 751 मिमी से 21.44 प्रतिशत कम है। इस इलाके में सूखा पड़ना असामान्य बात नहीं है। पिछले साल महाराष्ट्र के 42 तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। इनमें से 14 मराठवाड़ा में थे। 2021 और 2022 में बेमौसम बारिश के चलते फसलों को नुकसान पहुंचा था।
2016 में यहां ऐसा भीषण सूखा पड़ा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में पानी की ट्रेन चलानी पड़ी थी। इससे कठिन समय में लोगों को राहत मिली थी। 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे फडणवीस ने मराठवाड़ा में जल संकट दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
जल सुरक्षा के लिए मराठवाड़ा वाटर ग्रिड परियोजना लाए थे देवेन्द्र फडणवीस
देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में 2019 में मराठवाड़ा जल ग्रिड परियोजना सामने लाई गई। इसका उद्देश्य सूखाग्रस्त क्षेत्र में स्थायी जल वितरण नेटवर्क स्थापित करना था। फडणवीस ने मराठवाड़ा के गंभीर जल संकट के लिए व्यापक और दीर्घकालिक समाधान की कोशिश की। 2019 में परियोजना की घोषणा के कुछ समय बाद ही फडणवीस का कार्यकाल समाप्त हो गया था।
फडणवीस के बाद आई महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार के दौरान इस परियोजना पर बेहद सुस्त रफ्तार से काम हुआ। नौकरशाही बाधाओं और राजनीतिक प्राथमिकताओं में बदलाव ने वाटर ग्रिड की प्रगति रोक दी।
क्या है मराठवाड़ा वाटर ग्रिड परियोजना?
मराठवाड़ा वाटर ग्रिड परियोजना 1.6 से 2.4 मीटर परिधि वाली बड़ी पाइपलाइनों के नेटवर्क के माध्यम से क्षेत्र के 11 प्रमुख बांधों को जोड़ने के लिए बनाई गई है। इस सिस्टम से जलाशयों को जोड़ने वाला प्राथमिक लूप स्थापित होगा। इससे जिस बांध में जल ज्यादा होगा उसके पानी को कम जल भंडार वाले बांधों तक पंप किया जा सकेगा।
वाटर ग्रिड इलेक्ट्रिक ग्रिड की तरह काम करेगा। यह वाटर ग्रिड, पम्प हाउसों और पाइपलाइनों के इस्तेमाल से अच्छी आपूर्ति वाले जलाशयों से जल को उपचार संयंत्रों तक पहुंचाएगा। यहां से पानी जरूरत वाले इलाके में भेजा जाएगा।
2022 में हुआ परियोजना का पुनरुद्धार
2022 में उपमुख्यमंत्री के रूप में फडणवीस की वापसी के बाद परियोजना का पुनरुद्धार हुआ। 2023 में प्रस्ताव महाराष्ट्र जल संसाधन विनियामक प्राधिकरण (MWRRA) को पेश किया गया। इस अर्ध-न्यायिक निकाय की स्थापना राज्य में समान जल वितरण सुनिश्चित करने के लिए की गई थी। मराठवाड़ा वाटर ग्रिड प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र सरकार ने केंद्र सरकार से 20,000 करोड़ रुपए मांगी। सरकार ने विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी वित्तीय सहायता मांगी है।
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