मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास नाव दुर्घटना में एक बड़ी वजह सामने ये आई है कि जो वोट दुर्घटनाग्रस्त हुई है, वो ओवरलोड थी। जिसमें नेवी स्पीडबोट के टकराने से यह दर्दनाक हादसा हुआ। जानें चश्मदीदों की गवाही और रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी कहानी।
मुंबई। मुंबई में बुधवार को गेटवे ऑफ इंडिया के पास समुद्री दुर्घटना में 13 लोगों की मौत हो गई और 101 लोगों को बचा लिया गया। ये हादसा उस समय हुआ जब गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफेंटा जा रही ओवरलोड नीलकमल नाव भारतीय नौसेना की स्पीडबोट से टकरा गई। चश्मदीदों के अनुसार हादसे के समय 80 लोगों की क्षमता वाली नाव में करीब 110 लोग सवार थे, जिनमें 20 बच्चे भी शामिल थे। किसी ने भी लाइफ जैकेट नहीं पहनी थी। एक चश्मदीद ने बताया कि, “नेवी की स्पीडबोट स्टंट कर रही थी और हमारी नाव से टकरा गई। 25 मिनट बाद नेवी ने हमें बचाया।”
मुंबई पुलिस के अनुसार जिस वक्त दुर्घटना हुई उस वक्त नेवी के 4 कर्मियों और बोट पर सवार 9 सिविलियन लोगों की मौत हुई। 80 लोगों की क्षमता वाली नीलकमल बोट में 20 बच्चों समेत करीब 110 यात्री सवार थे। टक्कर मारने वाली नेवी के बोट के ड्राइवर के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। रेस्क्यू ऑपरेशन में नेवी की 11 बोट, मरीन पुलिस की 3 बोट और कोस्ट गार्ड की 1 बोट लगी हुई थी। चार हेलीकॉप्टरों की मदद से डूब रहे लोगों को समुद्र से निकाला गया। स्थानीय नाव चालकों ने भी महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता देते हुए 20-25 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला।
नौका गेटवे ऑफ इंडिया से यात्रियों को लोकप्रिय पर्यटन स्थल एलीफेंटा द्वीप ले जा रही थी। मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (MBPT) की पायलट बोट पूर्वा के ड्राइवर आरिफ बामने ने बताया कि जब हम वहां पहुंचे तो स्थिति दुखद और पूरी तरह से भयावह थी। लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और कुछ रो रहे थे।" उन्होंने एक छोटी लड़की को याद किया जो बेसुध पड़ी थी क्योंकि उसके फेफड़ों में पानी घुस गया था। ड्राइवर और अन्य बचावकर्मियों ने उसकी छाती पर दबाव डाला और उसे फिर से सांस लेने में मदद की। उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे उसकी सांस सामान्य हो गई। बामने के अनुसार उन्होंने महिलाओं और बच्चों को बचाने को प्राथमिकता दी।
ड्राइवर के अनुसार एक मछली पकड़ने वाला ट्रॉलर और एक अन्य पर्यटक नाव पहले ही घटनास्थल पर पहुंच चुकी थी। बामने ने बताया कि वह और उनकी टीम बुधवार शाम को जवाहर दीप से मुंबई जा रहे थे, जब कंट्रोल रूम ने दुर्घटना की जानकारी मिली। उन्हें जल्द से जल्द JD5 के पास घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया गया था। उनकी नाव में केवल 4 लोग सवार थे, लेकिन उन्होंने अन्य नावों के आने से पहले फंसे हुए लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की।
उन्होंने बताया कि मदद के लिए चिल्लाने वालों में 3 से 4 विदेशी भी थे। बामने के अनुसार, "हमने यथासंभव अधिक से अधिक लोगों को बचाने की कोशिश की।" उन्होंने बताया कि उन्होंने करीब 20-25 लोगों को बचाया, जिन्हें बाद में घटनास्थल पर पहुंची नौसेना की नावों में ट्रांसफर कर दिया गया। नाव चलाने के 18 साल के अनुभव के साथ, बामने ने कहा कि उन्होंने पहले भी छोटे बचाव अभियान देखे हैं, लेकिन बुधवार की घटना सबसे भयावह और दुखद थी। यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान है, जो मैंने अपनी आंखों से देखा है।"
छोटी पर्यटक नाव के चालक इकबाल गोथेकर ने बताया कि दोपहर 3.35 बजे एलीफेंटा द्वीप से उनकी नाव के रवाना होने के 25 से 30 मिनट बाद उन्हें घटना के बारे में पता चला और वे दुर्घटना स्थल पर पहुंचने वाले पहले लोगों में से एक थे। रायगढ़ जिले के मूल निवासी गोथेकर के अनुसार पलटी हुई नाव पर सवार लोग मदद के लिए हाथ हिला रहे थे। उन्होंने बताया कि जब तक वे घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक एक मछली पकड़ने वाला ट्रॉलर भी आ गया था। गोथेकर ने बताया कि उनकी नाव ने 16 लोगों को बचाया और उन्हें गेटवे ऑफ इंडिया तक सुरक्षित पहुंचाया। बचाए गए लोगों को पुलिस चौकी ले जाया गया। गोथेकर ने त्रासदी को याद करते हुए कहा, "अपने करियर में मैंने कभी ऐसी घटना नहीं देखी।"
नेवी के अनुसार उनका जहाज इंजन परीक्षण पर था और नियंत्रण खोने के कारण यह दुर्घटना हुई। इस हादसे में नेवी के 4 कर्मियों की भी मौत हो गई। टक्कर मारने वाली स्पीडबोट के ड्राइवर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है।
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