मुंबई फेक साइंटिस्ट केस में नया खुलासा, ईरान को न्यूक्लियर प्लान बेचने की साजिश

Published : Nov 05, 2025, 03:59 PM IST
Mumbai Fake Scientist Case

सार

BARK Fake Scientist Case: मुंबई में पकड़े गए फर्जी साइंटिस्ट ईरानी कंपनियों को नकली न्यूक्लियर रिएक्टर डिज़ाइन बेचने की कोशिश कर रहे थे। वे दावा कर रहे थे कि उन्होंने लिथियम-6 से चलने वाला फ्यूज़न रिएक्टर विकसित किया है।

Mumbai Fake Scientist Case Update: मुंबई में गिरफ्तार फेक साइंटिस्ट मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के अनुसार, खुद को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) का सीनियर साइंटिस्ट बताने वाला 60 साल का अख्तर हुसैनी क़ुतुबुद्दीन अहमद अपने भाई आदिल हुसैनी के साथ मिलकर न्यूक्लियर डिजाइन और रिएक्टर तकनीक ईरान की कंपनियों को बेचने की कोशिश कर रहा था। यह डील वैज्ञानिक सहयोग और रिसर्च पार्टनरशिप के नाम पर किया जा रहा था। मामला सिर्फ धोखाधड़ी का नहीं है, बल्कि राष्ट्र सुरक्षा से जुड़ा खतरा है।

कैसे बनाया गया पूरा प्लान?

अख्तर और उसका भाई पिछले कुछ सालों से दुनिया को यह यकीन दिलाने में लगे थे कि उन्होंने लिथियम-6 आधारित फ्यूज़न रिएक्टर का डिजाइन तैयार किया है। यह वही तकनीक है, जो भविष्य में अत्यधिक ऊर्जा उत्पादन का सोर्स बनने की क्षमता रखती है। उन्होंने वैज्ञानिक भाषा जैसे 'न्यूक्लियर रिएक्टर फिजिक्स', 'प्लाज्मा हीट कंट्रोल' और 'आइसोटोप केमिस्ट्री' का इस्तेमाल करके लोगों को प्रभावित किया। दोनों ने नकली BARC ID कार्ड, फर्जी पासपोर्ट और तमाम दस्तावेज बनाए ताकि कोई शक न कर सके। इतना ही नहीं, वे तेहरान गए, ईरानी एम्बेसी तक पहुंचे और मुंबई में एक ईरानी राजनयिक को भी इस जाल में फंसा लिया।

क्या-क्या खुलासे हुए

वैज्ञानिकों ने जांच में पाया कि वह रिएक्टर प्लान सिर्फ कागज पर और कंप्यूटर मॉडल में था, असल में उसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। उन्होंने जिस लिथियम-7 रिएक्टर के फेल होने की कहानी कही, वह पूरी तरह बनावटी थी, क्योंकि लिथियम-7 फ्यूजन रिएक्शन में इस्तेमाल ही नहीं होता। यानी पूरा वैज्ञानिक दावा झूठ, भ्रम और फर्जी तकनीकी शब्दों से जुड़ा था।

10 से ज्यादा ब्लूप्रिंट और न्यूक्लियर डेटा बरामद

मुंबई पुलिस ने अख्तर से 10 से ज्यादा न्यूक्लियर ब्लूप्रिंट, रिएक्टर डिज़ाइन और हथियारों से जुड़े डेटा बरामद किए हैं। इसके साथ कई फर्जी पहचान पत्र भी मिले, जिनमें उसका नाम कहीं अली रज़ा, तो कहीं अलेक्जेंडर पामर लिखा था। जांच एजेंसियां यह भी मान रही हैं कि 1995 से उन्हें विदेश से फंडिंग मिल रही थी। शुरुआती सालों में उन्हें लाखों, और 2000 के बाद यह फंडिंग करोड़ों में पहुंच गई। यानी पैसे के बदले भारत के न्यूक्लियर राज बाहर जाने की कोशिश की जा रही थी।

इसे भी पढे़ं- IPO के नाम पर ₹40 करोड़ का खेल, मुंबई में ED की ताबड़तोड़ रेड

इसे भी पढे़ं- Digital Arrest: IPS-CBI अफसर बन ठगों ने लूटे 1.2 करोड़, सदमे में 83 वर्षीय बुजुर्ग की मौत

 

PREV

मुंबई-पुणे से लेकर पूरे महाराष्ट्र की राजनीति, बिज़नेस गतिविधियाँ, बॉलीवुड अपडेट्स और लोकल घटनाओं पर हर पल की खबरें पढ़ें। राज्य की सबसे विश्वसनीय कवरेज के लिए Maharashtra News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — केवल Asianet News Hindi पर।

Read more Articles on

Recommended Stories

Mumbai Crime: बेटी पर बरपा बेरोजगार पिता का कहर, बचाने दौड़ी मां को भी नहीं छोड़ा
TCS ने पुणे ऑफिस से 365 को निकाला, लेबर कमिश्नर के पास पहुंच गए कर्मचारी