
Varanium Cloud Ltd ED Raid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को मुंबई के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई वैरेनियम क्लाउड लिमिटेड के खिलाफ की गई है, जिसने छोटे शहरों में डेटा और डिजिटल लर्निंग सेंटर्स खोलने के झूठे वादे कर निवेशकों को चूना लगाया। कंपनी के प्रमोटर हर्षवर्धन साबले और उनसे जुड़ी अन्य यूनिट्स पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है। जानिए क्या है पूरा मामला
ED के मुताबिक, वैरेनियम क्लाउड लिमिटेड ने सितंबर 2022 में एक IPO के जरिए करीब 40 करोड़ रुपए जुटाए थे। कंपनी ने दावा किया था कि यह पैसा एज डेटा सेंटर और डिजिटल लर्निंग सेंटर्स बनाने में इस्तेमाल किया जाएगा। लेकिन जांच में सामने आया कि कंपनी ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया, बल्कि पैसों का गलत इस्तेमाल करते हुए फर्जी ट्रांजैक्शन और सर्कुलर फंड मूवमेंट्स के ज़रिए अपनी टर्नओवर और मार्केट वैल्यू को झूठा बढ़ाया।
जांच एजेंसी ने बताया कि कंपनी ने पंप एंड डंप (Pump and Dump) स्कीम के ज़रिए निवेशकों को ठगा। इसमें पहले कंपनी के शेयरों की कीमतें बढ़ाई गईं, ताकि लोगों में निवेश का जोश बढ़े। जब कीमतें ऊंची पहुंच गईं, तब प्रमोटर्स और उनके सहयोगियों ने बड़े पैमाने पर शेयर बेच दिए, जिससे आम निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
ED की रेड के दौरान कई चौंकाने वाले सबूत मिले हैं। मुंबई से चल रहे फर्जी खातों का एक विस्तृत नेटवर्क, 400 से ज्यादा चेकबुक्स, जो फर्जी बैंक अकाउंट्स से जुड़ी थीं। 200 से ज्यादा सिम कार्ड्स और 100 से ज्यादा मोबाइल फोन्स, जिनका इस्तेमाल पैसे की आवाजाही छिपाने में किया गया। इसके अलावा 150 से अधिक शेल (डमी) कंपनियों के जरिए अवैध पैसों को घुमाया गया। इन फर्जी खातों और कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था, ताकि पैसों की असली सोर्स को छिपाया जा सके।
ED की जांच में पता चला है कि यह पूरा रैकेट कुछ छोटे कमरों से ऑपरेट हो रहा था, जिन्हें 'Drawer Companies' कहा जाता है। यहां से फर्जी पहचान, म्यूल बैंक अकाउंट्स और प्रॉक्सी कम्युनिकेशन चैनल्स के जरिए लोगों को गुमराह कर करोड़ों का खेल खेला जा रहा था। छापेमारी में लैपटॉप्स, हार्ड ड्राइव्स और डिजिटल सबूतों को भी जब्त किया गया है, जिनसे कई और कंपनियों और लोगों के नाम सामने आए हैं।
ईडी ने बताया कि कई अन्य लोग और कंपनियां भी जांच के दायरे में हैं। यह छापेमारी PMLA (Prevention of Money Laundering Act), 2002 के तहत की गई है। आगे की जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि IPO से जुटाई गई रकम किन खातों में और किन प्रोजेक्ट्स में डाइवर्ट की गई थी।
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