
नासिक। अंगूर और प्याज की आधुनिक खेती के लिए पहचाने जाने वाले नासिक को अब होली की रंग बिरंगी मिठाईयां एक नयी पहचान दे रही हैं। अनूठी फूल जैसी संरचना सी दिखने वाली रंगीन 'आभूषण मिठाई' या 'फूल मिठाई' सबका ध्यान अपनी तरफ खींच रही हैं। तस्वीर देखकर चौंकिएगा मत! तस्वीर में दिख रही फूल की माला जैसी रंगीन लड़ी को 'फूल मिठाई' कहते हैं। यह मिठाई नासिक के खेड़गॉंव में तैयार की जाती है। आपको बता दें कि यह मिठाई पिछले 70 वर्षों से स्थानीय संस्कृति का एक हिस्सा रही है।
इन्हें कहते हैं हरगंगन
मिठाईयां बनाने वाले स्थानीय कलाकार ने बताया कि इस फूल (फूल मिठाई) को हरगंगन कहते हैं। होली के दिन इसका इस्तेमाल होता है। ये पूरी तरह से खाने योग्य होती हैं। मिठायों में शक्कर के साथ नींबू और रंग होता है। स्थानीय मिठाइयां बनाने वाले रोहित पवार कहते हैं कि यह परंपरा 70 साल पुरानी है। इन मिठाइयों का इस्तेमाल त्योहारों के दौरान पूजा में होता है, पर ऐसा नहीं कि इनका इस्तेमाल सिर्फ पूजा में ही होता है, इन मिठाइयों को खाने में भी उपयोग किया जा सकता है।
जटिल है मिठाई बनाने की प्रक्रिया
उन्होंने बताया कि इस मिठाई को बनाने में समय लगता है, इसे बनाने की जटिल प्रक्रिया इसे और खास बनाती है। पहले चाशनी बनाई जाती है, उसके दो हिस्से किए जाते हैं। एक हिस्से को सादा रखा जाता है, जबकि दूसरे हिस्से में खाने वाला रंग मिलाया जाता है। फिर सादे और रंगीन दोनों तरह की चाशनी को सांचों में डाला जाता है। यह सांचे फूल की संरचना जैसे होते हैं, उनमें चांदी के तार रखते हैं, ताकि एक फूल की लड़ी सी आकृति तैयार की जा सके। जब यह मिठाई सांचे से निकलती है तो बिल्कुल फूल की माला की तरह दिखती है।
अनोखे स्वरूप की वजह से लोकप्रिय
यह मिठाइयां अपने अनोखे स्वरूप और स्वाद की वजह से पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो गई हैं। होली और गुड़ी पड़वा त्योहारों में इनका विशेष महत्व है। आमतौर पर इस मिठाई की कीमत करीब 75 रुपये प्रति किलो है। पहले यह मिठाई सिर्फ एक ही दुकान पर मिलती थी। पर अब इस मिठाई को पूरे महाराष्ट्र में लोकप्रियता हासिल हो चुकी है। 'आभूषण मिठाई' की लोकप्रियता नासिक को एक नयी पहचान दे रही है। 'फूल मिठाई' नासिक और महाराष्ट्र की संस्कृति का एक हिस्सा है।
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