महाराष्ट्र: स्पीकर के फैसले को उद्धव ठाकरे देंगे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, कहा- जनता को नहीं यह मंजूर

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वे विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। जनता को यह फैसला मंजूर नहीं है।

 

Vivek Kumar | Published : Jan 10, 2024 4:02 PM IST / Updated: Jan 10 2024, 09:33 PM IST

मुंबई। शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य करार देने को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने फैसला सुनाया। उन्होंने शिंदे गुट को असली शिवसेना बताया और विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका खारिज कर दी। उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, "मुझे लगता है कि उन्होंने (स्पीकर राहुल नार्वेकर) अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझा। मामला सीधा अयोग्यता का था। इसलिए हम सुप्रीम कोर्ट गए थे। सु्प्रीम कोर्ट ने एक फ्रेमवर्क दिया था। क्या होना चाहिए? कैसे होना चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचेतक के हमारे नामांकन को भी स्वीकार कर लिया। स्पीकर ने कोर्ट के दिए फ्रेमवर्क से अलग काम किया है। उनको लगता है कि ऐसी महाशक्ति उनके पीछे है कि सुप्रीम कोर्ट भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता।"

ऊपर से जो आदेश आया स्पीकर ने वही किया

उद्धव ठाकरे ने कहा, "यह तो अन्याय नहीं, शायद उनकी समझ के बाहर का फैसला था। या ऊपर से जो आया वो उन्होंने किया है। इसलिए मैंने कल प्रेस में कहा था कि मिलीभगत है। अब देखना ये होगा कि इन्होंने फिलहाल तो प्रजातंत्र की हत्या की है। सुप्रीम कोर्ट में ये टिकेगा नहीं, लेकिन क्या ट्रिब्यूनल सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है, या नहीं है। यह देखना होगा। सवाल है कि इस देश में लोकतंत्र रहनी चाहिए या नहीं। इनका मानना है कि नहीं रहनी चाहिए। अब दूसरा सवाल आया है कि सुप्रीम कोर्ट भी रहेगा या नहीं रहेगा। या ऐसे ट्रिब्यूनल उसके ऊपर रहेंगे। अब सुप्रीम कोर्ट से पूरी आशा है। जनता को तो ये फैसला मंजूर नहीं है।"

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राहुल नार्वेकर बोले-हर व्यक्ति को है सुप्रीम कोर्ट जाने का अधिकार
दूसरी ओर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है। हालांकि, आप अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं इसका मतलब यह नहीं है कि अध्यक्ष के आदेश को पलट दिया जाएगा। आपको यह स्थापित करना होगा कि यह कानून की नजर में अवैध या अस्थिर है। आपके आधारहीन आवंटन इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।

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