सार
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार शाम को विधायकों की अयोग्यता याचिका पर फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि असली शिवसेना शिंदे गुट है।
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बुधवार शाम को फैसला सुनाया। शिवसेना के दोनों गुटों ने एक-दूसरे के खिलाफ अयोग्यता की याचिका लगाई थी। उद्धव ठाकरे गुट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिका लगाई थी। स्पीकर ने कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। इसके साथ ही शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका को खारिज कर दिया गया।
राहुल नार्वेकर ने कहा, "दोनों पार्टियों (शिवसेना के दो गुटों) द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई आम सहमति नहीं है। नेतृत्व संरचना पर दोनों के विचार अलग-अलग हैं। एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है। मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा।"
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, “चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में शिंदे गुट असली शिवसेना है। मैंने चुनाव आयोग के फैसले को ध्यान में रखा। उद्धव गुट ने आयोग के फैसले को चुनौती दी थी। शिवसेना का 1999 का संविधान मान्य है। चुनाव आयोग में रखा संविधान ही मान्य है। संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड पर नहीं है। शिवसेना का 2018 का संविधान स्वीकार्य नहीं है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही सर्वोपरि है। शिवसेना संगठन में 2018 में चुनाव नहीं हुए।”
उद्धव का नेतृत्व शिवसेना के संविधान के अनुसार नहीं
राहुल नार्वेकर ने कहा, “2013 और 2018 में शिवसेना में चुनाव नहीं हुआ। मैं स्पीकर के रूप में 10वीं धारा के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहा हूं। अनुसूची का क्षेत्राधिकार सीमित है। यह वेबसाइट पर उपलब्ध ईसीआई के रिकॉर्ड से आगे नहीं जा सकता है। इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है। 21 जून 2022 को जो हुआ उसे समझना होगा। शिवसेना का एक गुट अलग हुआ। दोनों गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहे हैं। शिवसेना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला आखिरी है। 2018 का नेतृत्व शिवसेना संविधान के मुताबिक नहीं था। शिवसेना संविधान के अनुसार नेतृत्व का फैसला किया है। उद्धव का नेतृत्व 2018 संविधान के अनुसार नहीं।”
शिंदे गुट ही असली शिवसेना
स्पीकर ने कहा कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। शिंदे गुट के पास 37 विधायकों का बहुमत है। बंटवारे के समय 37 विधायक साथ थे। 22 जून के मुताबिक शिंदे गुट मान्य है। 21 जून 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुट उभरे तो शिंदे गुट ही असली शिवसेना राजनीतिक दल था।
शिंदे गुट के 40 विधायकों किया था बगावत
2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी। 20 जून 2022 को शिंदे गुट बगावत की तब उनके साथ 16 विधायक थे। बगावत करने वाले विधायकों की संख्या दो तिहाई से कम थी, जिसके चलते उन्हें अयोग्य करार दिए जाने का खतरा था। शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराए जाने का नोटिस दिया था। इसके बाद शिंदे गुट के बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इस दौरान बागी विधायकों की संख्या 40 हो गई। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते ही चुनाव चिह्न 'धनुष वान' दिया था।
क्या है मामला?
20 जून 2022 में शिव सेना में टूट हुई थी। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी के कई विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। इसके चलते शिव सेना दो हिस्से में टूट गई और उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा के समर्थन से शिव सेना के शिंदे गुट ने सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने।
दलबदल विरोधी कानूनों के तहत एक-दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए शिंदे और ठाकरे गुटों ने स्पीकर के पास याचिकाएं दायर की। स्पीकर ने विधायकों की अयोग्यता संबंधी याचिका पर फैसला सुनाने में देर की तो उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2023 को नार्वेकर के लिए अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की समय सीमा 31 दिसंबर से बढ़ाकर 10 जनवरी कर दी थी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान की 10वीं अनुसूची की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पीकर से 31 जनवरी 2024 तक अजीत पवार समूह के नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की याचिका पर फैसला करने को भी कहा था।